Insufficient Physical Activity Among Indian Adults: स्वस्थ रहने से कई बीमारियों का विकास रोका जा सकता है।
इसके लिए चलने, दौड़ने या अन्य एक्सरसाइज से फिजिकली एक्टिव रहना लाभकारी पाया गया है। लेकिन हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में, प्रत्येक 10 भारतीयों में से चार को कम एक्टिव बताया गया है।
इस वज़ह से उन्हें हृदय रोग, मोटापा, डायबिटीज, कैंसर जैसे कई गैर-संचारी रोगों ( Non-communicable diseases) का खतरा अधिक होने की आशंका जताई गई है।
- Advertisement -
यह रिपोर्ट एक राष्ट्रीय गैर-संचारी रोग निगरानी सर्वेक्षण के आंकड़ों पर आधारित है। यह सर्वेक्षण डब्ल्यूएचओ और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) का संयुक्त प्रयास बताया गया है।
बता दें कि गैर-संचारी रोगों या लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों को रोकने और नियंत्रित रखने में पर्याप्त फिजिकली एक्टिविटी फायदेमंद बताई गई है।
इसलिए, डब्ल्यूएचओ ने अपने सहयोगी देशों को वर्ष 2025 तक राष्ट्रीय स्तर की शारीरिक निष्क्रियता में 10 प्रतिशत की कमी का लक्ष्य दिया है।
इसी के तहत हुए राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण में भारत के 18 से 69 वर्षीय युवाओं और वयस्कों ने भाग लिया था, जिसमें उनकी अपर्याप्त फिजिकल एक्टिविटी उजागर हुई।
सर्वे किए गए कुल 12,000 परिवारों में से 10,554 वयस्कों ने अपने क्षेत्र, काम-धंधे और स्वास्थ्य से जुड़े प्रश्नों के उत्तर दिए। इन श्रेणियों में अधिकांश पुरुष और ग्रामीण उत्तरदाता थे।
- Advertisement -
शारीरिक गतिविधि के स्तर को जानने वाले इस सर्वेक्षण में 42 प्रतिशत ने फिटनेस और एक्टिविटी में कमी बताई।
विशेषज्ञों द्वारा तैयार समीक्षा में ज्यादातर महिलाओं (52.4 प्रतिशत) और शहरी निवासियों (51.7 प्रतिशत) को रोजाना तय सीमा से कम एक्टिव बताया गया।
समीक्षा में ग्रामीण निवासियों की फिजिकल एक्टिविटी शहरी निवासियों से लगभग दोगुना (95 प्रतिशत) पाई गई।
यही नहीं, फिट न रहने से होने वाली हाई बीपी और बढ़े हुआ पेट की समस्या भी शहरी निवासियों में अधिक देखने को मिली।
रिपोर्ट में एक्सरसाइज के मामले में महिलाएं पुरुषों की तुलना में फिसड्डी रही। महिलाओं को एक्टिव रखने में घर या ऑफिस संबंधी काम ही प्रमुख योगदान देते मिले।
सर्वे के अनुसार, पुरुषों (118.8 मिनट) ने महिलाओं (55.3 मिनट) की तुलना में प्रतिदिन एक्सरसाइज करने में अधिक समय बिताया।
कम फिजिकल एक्टिविटी की उच्च संभावनाएं बेरोजगारी, ज्यादा धन-दौलत, बढ़ी हुई तोंद और हाई ब्लड प्रेशर में वृद्धि के साथ महत्वपूर्ण रूप से जुड़ी हुई थीं।
इसके अलावा, कम एक्टिव लोगों को ह्रदय संबंधी बीमारियों का खतरा भी बढ़ा हुआ था।
वैवाहिक और रोजगार स्थिति भी शारीरिक एक्टिविटी के कम या ज्यादा स्तर के साथ महत्वपूर्ण रूप से जुड़ी हुई थी। अविवाहितों और जॉब करने वालों में फिजिकल एक्टिविटी का स्तर अधिक था।
अविवाहित वयस्कों में शराब (14.7 प्रतिशत) या तंबाकू सेवन (12.2 प्रतिशत), हाई बीपी (15.6 प्रतिशत) और ब्लड शुगर (2.6 प्रतिशत) की समस्याएं कम दिखाई दी।
उनके विपरीत, जॉब करने वाले वयस्कों में शराब का उपयोग (24.6 प्रतिशत), धूम्रपान या तम्बाकू का उपयोग (19.6 प्रतिशत), ब्लड प्रेशर में वृद्धि (29.7 प्रतिशत) और शुगर (8.7 प्रतिशत) जैसी जानलेवा समस्याएं बढ़ी हुई थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रति सप्ताह 150 मिनट से कम या प्रति सप्ताह 75 मिनट से कम की जोरदार फिजिकल एक्टिविटी न करने वालों को अपर्याप्त एक्टिविटी की श्रेणी में रखा है।
शारीरिक रूप से इनएक्टिव रहने पर प्रति वर्ष 50 लाख से अधिक मौतें होती है और अपर्याप्त एक्टिविटी से मृत्यु का जोखिम 20 से 30 प्रतिशत तक बढ़ा हुआ मिला है।
हालांकि, शारीरिक गतिविधियां करते रहने से बढ़ा हुआ बीपी, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल, वजन और मोटापा रोका जा सकता है।
इस रिपोर्ट को ह्यूमन कैनेटीक्स जर्नल में विस्तारपूर्वक पढ़ा जा सकता है।