Meditation for heart: दिल के मरीज़ों को तनाव और चिंता कम करने के लिए प्रतिदिन ध्यान लगाना चाहिए।
यह सलाह है पुर्तगाल के रिसर्चर्स की जिन्होंने मेडिटेशन अभ्यास से कोरोनरी आर्टरी डिजीज (Coronary artery disease) के रोगियों को आराम पाया है।
इस विषय आधारित उनकी नई स्टडी यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के एक वैज्ञानिक सम्मेलन में पेश हुई थी।
स्टडी में कहा गया कि दिल की बीमारी का पता चलने के बाद उदास और चिंतित महसूस करना स्वाभाविक है।
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लेकिन मेडिटेशन अभ्यास द्वारा मरीज़ के जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
गौरतलब है कि तनाव, चिंता और डिप्रेशन दिल की बीमारी के विकास से जुड़ी मानसिक समस्याएं है।
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ने से हृदय रोग की शुरुआत का ख़तरा दुगुने से अधिक हो जाता है।
इसलिए नई स्टडी में कोरोनरी आर्टरी डिजीज के मरीज़ों की मानसिक परेशानियों पर मेडिटेशन का असर जाना गया।
40 रोगियों को छह महीने के लिए एक्सरसाइज-आधारित हृदय सुधार प्रोग्राम में शामिल किया गया था।
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कोरोनरीआर्टरी डिजीज के मरीज़ों की औसत आयु 65 वर्ष थी और उनमें 20% महिलाएं थीं।
प्रोग्राम के दौरान हेल्थ एक्सपर्ट्स द्वारा कुछ मरीज़ों को ‘करुणा’ मेडिटेशन करवाया गया।
इसमें उन्होंने पर्याप्त सांस लेने और चिंता घटाने वाले विचारों पर ध्यान केंद्रित किया।
यह मेडिटेशन सेशन लगभग एक महीने तक हफ्ते में 90 मिनट के लिए करवाया गया।
उसके बाद, अगले तीन महीनों तक मेडिटेशन अभ्यस्त मरीज़ों ने प्रतिदिन 20 मिनट स्वयं ही ध्यान लगाना शुरू किया।
चार महीने के बाद उनके तनाव, चिंता, डिप्रेशन और जीवन की गुणवत्ता का आकलन किया गया।
मेडिटेशन करने वाले हार्ट पेशेंट्स ने औसत डिप्रेशन, तनाव और चिंता में क्रमशः 44%, 31% और 29% तक कमी बताई।
मेडिटेशन से उनकी जीवन की गुणवत्ता में सामान्य देखभाल प्राप्त मरीज़ों की अपेक्षा 60% की वृद्धि भी हुई।
रिसर्चर्स ने स्वस्थ जीवन के लिए मेडिटेशन को आसान और बिना उपकरण के कही भी संभव एक प्रभावी उपचार बताया।
दिल के मरीज़ों द्वारा ध्यान लगाने से उनकी मानसिक समस्याओं और जीवन की गुणवत्ता में सुधार आ सकता है।