Late-life exercise mitigates muscle aging: एक हालिया अध्ययन ने बताया है कि वृद्धावस्था में भी एक्सरसाइज शुरू करने से उम्र बढ़ने के प्रभाव को धीमा किया जा सकता है।
यूनाइटेड स्टेट्स की अर्कांसस यूनिवर्सिटी के इस शोध में, दो महीने तक भारी पहिए पर चलने वाले बूढ़े चूहों की आयु, उतनी ही उम्र के एक्सरसाइज न करने वाले चूहों के मुकाबले आठ सप्ताह कम पाई गई है।
इस प्रयोग में वैज्ञानिकों ने अपने प्राकृतिक जीवनकाल के करीब पहुंच चुके प्रयोगशाला के बूढ़े चूहों को एक भारी पहिए पर चलाया, ताकि उनकी सिकुड़ती मांसपेशियों पर इस एक्टिविटी का असर देखा जा सके।
दो महीने तक ऐसा करने वाले चूहों की जांच से पता चला कि उनकी एपिजेनेटिक उम्र समान उम्र वाले 24 महीने के गतिहीन चूहों से आठ सप्ताह तक कम हो गई है।
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शोधकर्ताओं का मानना है कि इस जादू के पीछे का असली कारण वास्तव में एक जैविक प्रक्रिया है, जिसे डीएनए मिथाइलेशन (DNA methylation) कहा जाता है।
डीएनए मिथाइलेशन को कोशिकाओं द्वारा शरीर में जीन अभिव्यक्ति नियंत्रित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
एक्सरसाइज द्वारा मांसपेशियों की एपिजेनेटिक उम्र कम होने से जीवनकाल सहित मांसपेशियों के स्वास्थ्य में सुधार होता है, ऐसा इस स्टडी में भी देखने को मिला है।
हालांकि, मिथाइलेशन और उम्र बढ़ने के बीच तो संबंध स्पष्ट है, लेकिन मिथाइलेशन का मांसपेशियों के कार्य पर प्रभाव अभी तक थोड़ा कम खोजा गया है।
इसलिए, शोधकर्ता डीएनए मिथाइलेशन में हुए सकारात्मक बदलाव से मांसपेशियों के स्वास्थ्य में आए सुधार के पीछे केवल एक्सरसाइज की ही भूमिका नहीं मान रहे है।
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उनके अनुसार, मिथाइलेशन में परिवर्तन के परिणामस्वरूप मांसपेशियों के कार्य में परिवर्तन होता है, यह निर्धारित करने के लिए भविष्य के अध्ययन आवश्यक है।
एजिंग सेल में प्रकाशित यह स्टडी, एक्सरसाइज से हड्डियों व मांसपेशियों की बढ़ती ताकत, बेहतर गतिशीलता, सहनशक्ति के अलावा हृदय रोग, डायबिटीज और हाई बीपी के कम जोखिम जैसे फायदों को पुनः प्रमाणित करती है।