Adolescents’ reduced physical activities: किशोरों में शारीरिक गतिविधि घटने और मोबाइल, टीवी देखने के बढ़ते मामलों पर विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की है।
द लैंसेट में छपे तीन रिसर्च पेपर के अनुसार, दुनिया भर में महामारी प्रकोप और प्रतिबंधों के चलते इंसानों की फिजिकल एक्टिविटी (Physical Activity) पहले के मुकाबले ज्यादा घट गई है।
इसका सबसे ज्यादा असर किशोरों और विकलांगों पर हुआ है।
वैज्ञानिकों के वैश्विक विश्लेषण से पता चला है कि स्कूल जाने वाले 10 से 19 साल के 80 फीसदी किशोर डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रस्तावित प्रतिदिन 60 मिनट की शारीरिक गतिविधि करने में विफल रहे है।
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इसके अलावा, 40 फीसदी किशोर स्कूल नहीं जाते और 25 फीसदी तीन घंटे से ज्यादा समय तक बैठे रहते है। इसमें स्कूल और होमवर्क के लिए बैठना शामिल नहीं है।
38 यूरोपीय देशों में 60 फीसदी लड़के और 56 फीसदी लड़कियां दिन में दो घंटे या उससे अधिक समय टेलीविजन देखने में बिताते है।
इसके अलावा, 51 फीसदी लड़के और 33 फीसदी लड़कियां दिन में दो घंटे या उससे अधिक समय वीडियो गेम खेलने में लगे रहते है।
हालांकि, ऐसी एक्टिविटी उनके दिलो-दिमाग की सेहत को कैसे प्रभावित करती है, इस बारे में पक्के तौर पर कुछ स्पष्ट नहीं हो पाया।
वैज्ञानिकों ने किशोरों की शारीरिक निष्क्रियता के परिणामों का पता लगाने और उनके शारीरिक विकास को बढ़ावा देने के प्रभावी तरीकों की पहचान करने की सख्त जरूरत बताई है।
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ऑनलाइन स्कूली शिक्षा और सामाजिक दूरी ने उनकी शारीरिक गतिविधि को काफी कम कर दिया है और मोबाइल, टीवी, सोशल मीडिया के उपयोग में वृद्धि की है।
ऐसे में इन परिवर्तनों के दुष्परिणाम जीवन भर रहने की आशंका है।
विश्लेषण करने वालों का मानना है कि किशोर दुनिया की आबादी का लगभग एक चौथाई हिस्सा है। उनके स्वास्थ्य में सुधार करने का मतलब है अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य को सकारात्मक रूप से प्रभावित करना।
देखने में आया है कि दुनिया भर में शारीरिक गतिविधि में सुधार की धीमी प्रगति को COVID-19 महामारी ने और भी सुस्त कर दिया है।
ऐसे में निष्क्रिय लोगों तथा हृदय रोग, डायबिटीज और कैंसर वालों के कोरोना संक्रमित होने पर अस्पताल में भर्ती होने या मौत होने की संभावना कहीं अधिक पाई गई है।
एक अनुमान के अनुसार, फिजिकल एक्टिविटी में सुधार के प्रयासों में गिरावट से हर साल दुनिया भर में पांच लाख से ज्यादा लोगों की मौत संभव है।
इसलिए विशेषज्ञ चाहते है कि दुनिया भर की सरकारें दौड़ना, चलना, खेलकूद और एक्सरसाइज जैसी गतिविधियों को रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करना सुनिश्चित करे।
इससे होने वाले लाभों में हृदय स्वास्थ्य, मांसपेशियों की ताकत, कार्य कौशल और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार शामिल है।
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