एक हालिया अध्ययन ने कोरोना के दौरान शारीरिक गतिविधियों में हुई जबरदस्त गिरावट को डिप्रेशन (depression) की उच्च दर के साथ मजबूती से जुड़ा पाया है।
अमेरिकन कॉलेज के 700 युवा छात्रों में महामारी से पहले और उसके दौरान आयोजित अध्ययन में देखा गया कि उनके रोजाना चलने-फिरने से जुड़े औसतन 10,000 से 4,600 स्टेप्स की गिरावट आते ही डिप्रेशन (depression) की दर 32 प्रतिशत से बढ़कर 61 प्रतिशत हो गई।
महामारी प्रतिबंधों से उनकी फिजिकल एक्टिविटी (physical activity) में आई ऐसी गिरावट बाद में थोड़े समय के लिए की गई एक्सरसाइज (exercise) से भी उनकी दिमागी सेहत में सुधार नहीं ला सकी।
शोधकर्ताओं के अनुसार, जिन्होंने प्रतिदिन एक्सरसाइज में एक से दो घंटे की कमी बताई, उनमें महामारी के दौरान डिप्रेशन होने का डर सबसे अधिक था। जबकि जो एक्सरसाइज करते रहने में सक्षम थे, उनमें ऐसी समस्या होने की सबसे कम आशंका थी।
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इसके अलावा, कम एक्सरसाइज करने वाले हर रात 25 से 30 मिनट ज्यादा सोए, लोगों से कम मिले-जुले तथा टीवी, मोबाइल और कंप्यूटर पर दोगुना समय बिताया।
पहले भी कई अध्ययनों ने डिप्रेशन वालों के लिए एक्सरसाइज को एक कामयाब थेरेपी बताया था।
अध्ययन करने वालों ने कहा कि महामारी से जीवनशैली और मानसिक सेहत पर हुए दुष्प्रभावों से बचने के लिए ऐसे समाधान ढूंढे जाने चाहिए जो भविष्य में इंसानी सेहत को बेहतर बना सकें।