20 साल के किशोरों से लेकर 39 साल तक के अधिक वजन वाले या मोटे वयस्कों को कोरोना संक्रमण (Covid-19 infection) से ज्यादा खतरा है।
ऐसा यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के विशेषज्ञों द्वारा किए गए एक विश्लेषण से पता चला।
विश्लेषण में कोरोना संक्रमण के खतरे को प्रभावित करने वाले कई कारणों पर ध्यान दिया गया।
इनमें आयु, लिंग, जातीयता और टाइप 2 डायबिटीज जैसी मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियां शामिल थी।
- Advertisement -
विशेषज्ञों के अनुसार, कोरोना ग्रस्त होने पर अस्पताल, आईसीयू में भर्ती या मौत का खतरा उन इंसानों में बढ़ता जाता है, जिनका बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 23 से ऊपर होता है। उन्हें यह खतरा अन्य किसी बीमारी के न होने पर भी बना रहता है।
ऑक्सफ़ोर्ड बायोमेडिकल रिसर्च सेंटर (BRC) द्वारा समर्थित अनुसंधान दल ने बढ़े हुए बीएमआई को वृद्धों की तुलना में 20 से 39 वर्ष की आयु के लोगों के लिए अधिक खतरनाक बताया।
इसके अलावा, 23 से कम बीएमआई वालों और कम वजन वालों को भी कोरोना होने पर अस्पताल में भर्ती और मृत्यु का खतरा बताया गया।
ऐसे निष्कर्षों के लिए, द लांसेट डायबिटीज एंड एंडोक्रिनोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन में इंग्लैंड के 20 से लेकर 99 साल के लगभग 70 लाख लोगों की सेहत संबंधी आंकड़ों को देखा गया।
इनसे पता लगा कि सबसे कम जोखिम 23 बीएमआई तक वाले मनुष्यों में था।
- Advertisement -
इसके बाद प्रति यूनिट बीएमआई बढ़ने पर अस्पताल ले जाने का खतरा लगभग पांच फीसदी, आईसीयू में भर्ती का 10 फीसदी और मृत्यु का चार फीसदी अधिक था।
हैरानी की बात यह रही कि ज्यादा वजन होने पर गंभीर COVID-19 का डर 20 से 39 वर्ष की आयु वालों में सबसे अधिक था, लेकिन 60 वर्ष के बाद वालों में कम हो गया।
अधिक वजन होने पर भी 80 साल के लोगों में कोरोना बिगड़ने का जोखिम बहुत कम था!
उच्च बीएमआई से जुड़े खतरे गोरे लोगों की अपेक्षा अन्य त्वचा रंग वालों में अधिक देखे गए।
विशेषज्ञों की सलाह थी कि अधिक वजन और मोटापे का उपचार करवाने और ऐसी अवस्थाओं की रोकथाम से COVID-19 रोग की गंभीरता को कम किया जा सकता है।
Also Read: जल्दी-जल्दी खाना खाने वाले होते है मोटापे का शिकार