50 वर्ष के बाद 10 सेकंड के लिए एक पैर पर खड़े होने में असमर्थता से मरने की संभावना दोगुनी हो सकती है।
ये चौंकाने वाला दावा किया है ब्रिटिश जर्नल ऑफ स्पोर्ट्स मेडिसिन में ऑनलाइन प्रकाशित एक रिसर्च ने।
रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम के मुताबिक़, 50 से 60 वर्ष के बाद 10 सेकंड के लिए एक पैर पर खड़े होने में असमर्थता अगले 10 वर्षों के भीतर किसी भी कारण से मौत की संभावना दोगुनी कर सकती है।
टीम का सुझाव था कि यह सरल और सुरक्षित बैलेंस टेस्ट बुजुर्ग पुरुषों और महिलाओं की नियमित स्वास्थ्य जांच में शामिल किया जा सकता है।
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इस जानकारी की सटीकता के लिए वैज्ञानिक दल ने फरवरी 2009 और दिसंबर 2020 के बीच 51 से 75 वर्षीय 1,702 इंसानों का चेकअप किया।
चेकअप में शामिल पुरुषों और महिलाओं को बिना किसी अतिरिक्त सहायता के 10 सेकंड के लिए एक पैर पर खड़े होने के लिए कहा गया था।
उन्हें ऊपर उठाए गए पैर के सामने वाले हिस्से को विपरीत पैर के पिछले हिस्से पर रखने के लिए कहा गया। इस दौरान बाजुओं को साइड में रखते हुए सीधे आगे की ओर देखना था।
बैलेंस टेस्ट में हरेक को किसी भी पैर पर तीन बार कोशिश करने की अनुमति दी गई थी।
कुल मिलाकर, 5 में से 1 प्रतिभागी यह टेस्ट पास करने में असफल रहा। ऐसा करने में असमर्थता उम्र के साथ बढ़ती गई जो 51 से 55 की उम्र के बाद कमोबेश दोगुनी हो गई।
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10 सेकंड के लिए एक पैर पर खड़े होने में असमर्थ लोगों का अनुपात 51-55 वर्ष वालों में लगभग 5%; 56-60 वर्ष वालों में 8%; 61-65 वर्ष वालों में 18% से कम; और 66-70 वर्ष वालों में 37% से कम रहा।
71 से 75 आयु वर्ग के लगभग 54% लोग यह टेस्ट पूरा करने में असमर्थ रहे।
7 वर्षों की औसत निगरानी के दौरान इस टेस्ट में असफल होने वालों में मृत्यु का अनुपात काफी अधिक (17.5% बनाम 4.5%) दर्ज किया गया।
यह भी गौरतलब रहा कि टेस्ट में विफल रहने वालों में ज़्यादातर मोटे, हृदय रोग, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल प्रोफाइल वाले थे।
रिसर्च अवधि के दौरान मरने वाले बुजुर्ग की जांच से वैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि 10 सेकंड के लिए एक पैर पर असमर्थित खड़े होने वालों की अगले 10 वर्षों के भीतर किसी भी कारण से मृत्यु की संभावना का जोखिम 84% था।