बीमारी या मौत होने के डर से जुड़े मैसेज लोगों को एक्सरसाइज (Exercise) करने के लिए ज्यादा प्रेरित करते है, ऐसा एक स्टडी में देखा गया है।
स्टडी के अनुसार, अधिकांश लोगों को ऐसे संदेशों से कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो कैसे दिखते है, दूसरे उनकी सेहत पर क्या कमेंट करते है या खराब सेहत से उनका कितना धन खर्च होगा।
इस बारे में कनाडा के शोधकर्ताओं ने पांच अलग-अलग संदेशों को पढ़ने के बाद लोगों की एक्सरसाइज करने की प्रेरणा को मापा।
परिणाम बताते है कि बीमारी के बारे में चेतावनी और यहां तक कि कम फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity) से मौत होने के डर वाले मैसेज ने भी उन पर बेहतर असर डाला।
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लेकिन, मोटापे, अनफिट होने और मेडिकल ट्रीटमेंट के खर्चों से जुड़ी चेतावनियों ने उन्हें जिम जाने या एक्सरसाइज करने के बारे में सोचने के लिए जरा भी मजबूर नहीं किया।
शोधकर्ताओं ने नतीजों को एक्सरसाइज में सहयोग देने वाले फिटनेस ऐप्स के महत्वपूर्ण बताया है।
उनके अनुसार, फिटनेस ऐप्स लोगों को बीमारी और मृत्यु से संबंधित स्वास्थ्य संदेशों को भेजकर उन्हें फिट रहने के लिए प्रेरित कर सकते है। इससे लोगों की सोच में परिवर्तन होगा।
स्टडी में शामिल तक़रीबन 600 से अधिक लोगों को ऐसे पांच संदेशों को प्रभावी बताने के लिए कहा गया जो उन्हें फिटनेस ऐप के साथ एक्सरसाइज करने के लिए प्रोत्साहित करते हो।
ये संदेश पांच अलग-अलग श्रेणियों जैसे धन-संपति मोटापा, मृत्यु, बीमारी और सामाजिक भेदभाव पर आधारित थे।
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सभी को एक्सरसाइज के लिए प्रेरित करने वाले संदेशों को एक से सात अंक तक प्रभावी बताने के लिए कहा गया।
शोधकर्ताओं ने पाया कि स्टडी में शामिल इंसानों ने बीमारी और मोटापे के बारे में सचेत करने वाले संदेशों को औसतन 4.8 और 4.69 स्कोर दिए, जबकि अन्य चेतावनियों वाले मैसेज को कम आंका।
स्टडी में यह भी देखा गया कि बीमारी और मौत के मैसेज से महिलाओं और पुरुषों दोनों के ही एक्सरसाइज करने की ज्यादा संभावना थी।
एमडीपीआई में प्रकाशित स्टडी में, शोधकर्ताओं ने भविष्य में इन संदेशों की प्रभावशीलता को विभिन्न आयु, शिक्षा, संस्कृति वाले अन्य देशों के इंसानों पर भी आजमाने की बात कही है।
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