Exercise in Metabolic Syndrome: उम्र बढ़ने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और शरीर में चर्बी का स्तर भी बढ़ता चला जाता है।
ऐसे में दिल और मेटाबॉलिज्म से संबंधित बीमारियों को कम करने के लिए दवाओं की ज्यादा जरूरत पड़ती है।
लेकिन स्पेन के वैज्ञानिकों का कहना है कि एक्सरसाइज करना मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़ी इन समस्याओं का सटीक इलाज है।
उनके मुताबिक, एक्सरसाइज करने से न केवल दवाओं पर निर्भरता कम होती है, बल्कि डायबिटीज, हृदय रोग, मोटापा और स्ट्रोक जैसे मेटाबॉलिक सिंड्रोम वाले रोगों की संभावना भी घटती जाती है।
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मेटाबॉलिक सिंड्रोम से ग्रस्त 50 साल से ऊपर के कुछ पुरुषों और महिलाओं पर किए गए एक परीक्षण में उन्होंने एक्सरसाइज के फायदे जाने।
पांच साल तक चलने वाले इस परीक्षण में उन्होंने एरोबिक एक्सरसाइज से ब्लड ग्लूकोज, हाई ट्राइग्लिसराइड्स, कोलेस्ट्रॉल और कमर के घेरे पर होने वाले असर को देखा।
उन्होंने कुछ इंसानों को हफ्ते में तीन दिन के एक्सरसाइज प्रोग्राम में शामिल किया और कुछ को एक्सरसाइज करवाए बिना ही मेटाबॉलिक सिंड्रोम की दवाएं लेने दी गई।
परीक्षण के अंत में सभी को मेटाबॉलिक सिंड्रोम से जुड़ी समस्याओं में आराम था, लेकिन बिना एक्सरसाइज वाले ग्रुप ने दुगुनी दवाएं खानी शुरू कर दी थी।
एक्सरसाइज करने वाले ग्रुप में दवाओं का इस्तेमाल स्थिर रहा और कइयों ने इसमें कटौती भी की।
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ऐसे में इस धारणा को और भी बल मिलता है कि एक्सरसाइज न केवल फिटनेस में सुधार करती है, बल्कि दवाओं पर निर्भरता और साइड इफ़ेक्ट को भी कम करती है।
हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना था कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम में एरोबिक एक्सरसाइज के साथ वेट ट्रेनिंग को भी शामिल करना अधिक प्रभावी है।
वजन उठाने वाली एक्सरसाइज से विशेष रूप से इंसुलिन सेंसटिविटी और फास्टिंग ब्लड शुगर में ज्यादा सुधार होने की संभावना रहती है।
यह स्टडी एसीएसएम के मेडिसिन एंड साइंस इन स्पोर्ट्स एंड एक्सरसाइज जर्नल में प्रकाशित हुई थी।
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