Health benefits of exercise: एक छोटे से अध्ययन में एक्सरसाइज को सामान्य नींद विकार कम करने और मस्तिष्क से जुड़े कार्य सुधारने में मददगार पाया गया है।
नतीजे बताते है कि मध्यम से गंभीर किस्म की ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (Obstructive sleep apnea) के लक्षण कम करने में एक्सरसाइज करना एक उपयोगी उपचार हो सकता है।
खराब नींद की इस अवस्था को जोर के खर्राटे और सांस लेने में रुकावट से पहचाना जा सकता है। लंबे समय तक इस समस्या के जारी रहने पर हृदय रोग, स्ट्रोक और मानसिक कुशलता में गिरावट का जोखिम बढ़ सकता है।
हालांकि, एक खास मशीन लगाने से इसका इलाज हो जाता है, लेकिन ब्राजील की एक यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक्सरसाइज को एक बेहतर गैर-औषधीय उपचार माना है।
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उनके अनुसार, एक्सरसाइज ट्रेनिंग सांस-संबंधी वायुमार्ग के आसपास जमा अतिरिक्त चर्बी को कम करने में प्रभावी हो सकती है, जिससे लोगों को रात में सांस लेना आसान हो जाता है।
नए शोध में मध्यम से गंभीर स्लीप एपनिया वाले 47 ब्राजीलियाई वयस्क शामिल थे।
आधों ने छह महीने के लिए प्रति सप्ताह तीन बार एक घंटे की एक्सरसाइज ट्रेनिंग में भाग लिया, लेकिन बाकियों ने ऐसा कुछ नहीं किया।
एक्सरसाइज प्रोग्राम में पांच मिनट का वार्म अप, 25 से 40 मिनट की स्टेशनरी साइकिल, 10 मिनट की वेट ट्रेनिंग और पांच मिनट बॉडी को रिलेक्स करने के लिए दिए गए थे।
छह महीने के अंत में, एक्सरसाइज करने वालों में बेहतर मस्तिष्क क्षमता, स्लीप एपनिया के लक्षणों में कमी, और दिमागी कार्यों में वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें ध्यान और निर्णय लेने की क्षमता में 32 फीसदी सुधार शामिल था।
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लेकिन एक्सरसाइज न करने वाले इन सुविधाओं से वंचित रहे। उल्टे, उनके मस्तिष्क की ग्लूकोज इस्तेमाल करने की ताकत भी कम होती देखी गई।
पिछले अध्ययनों से पता चला है कि स्लीप एपनिया वाले लोग ब्लड ग्लूकोज को ठीक से उपयोग करने की मस्तिष्क क्षमता में कमी का अनुभव करते है। इससे सोच-समझ वाले कामों पर बुरा असर पड़ता है।
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, हृदय रोग वाले 40 से 80 फीसदी लोगों को स्लीप एपनिया होता है।
यह स्थिति अक्सर मोटापे से जुड़ी होती है, जो गले के पीछे वायुमार्ग को संकीर्ण कर सकती है। ऐसे में लेटते समय सांस लेना मुश्किल हो जाता है।
स्मोकिंग, पारिवारिक इतिहास, नाक बंद होना, पीठ के बल सोना, शराब पीना, गर्दन का मोटा होना या गला संकरा होना और कुछ हार्मोन संबंधी असामान्यताएं भी इस स्थिति को बढ़ा सकती है। इसके अलावा, टाइप 2 डायबिटीज भी स्लीप एपनिया के खतरे को विकसित करती है।
निष्कर्ष, संस्था के हाइपरटेंशन साइंटिफिक सेशंस सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए।
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