जिन लोगो में एरोबिक एक्सरसाइज (aerobic exercise) और मांसपेशियों की फिटनेस (muscular fitness) की क्षमता कम होती है ऐसे लोग में अवसाद (depression) का अनुभव करने की संभावना लगभग दो गुना अधिक होती है।
ऐसा यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (University College London-UCL) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में पाया गया
बीएमसी मेडिसिन में प्रकाशित निष्कर्षों के अनुसार, लगभग सात सालों तक चले इस शोध में पाया गया कि कम फिटनेस से अवसाद और चिंता विकार होने की 60 प्रतिशत अधिक संभावना होती है ।
एक्सरसाइज है शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अच्छी
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इस अध्ययन में यूके बायोबैंक के 40 से 69 वर्ष के 152,978 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
अध्ययन की शुरुआत में उनकी एरोबिक फिटनेस का एक स्टेशनरी बाइक (stationary bike) से परीक्षण किया गया, जबकि उनकी मांसपेशियों की फिटनेस को ग्रिप स्ट्रेंथ टेस्ट से मापा गया।
उन्होंने अवसाद (depression) और चिंता (anxiety) के लक्षणों को समझते हुए एक प्रश्नावली भी पूरी की।
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सात साल बाद उनका फिर से अवसाद (depression) और चिंता (anxiety) के लक्षणों के लिए परीक्षण किया गया, और शोधकर्ताओं ने पाया कि अध्ययन की शुरुआत में उच्च एरोबिक (high aerobic) और मांसपेशियों की फिटनेस (muscle fitness) सात साल बाद बेहतर मानसिक स्वास्थ्य (better mental health) से जुड़ी थी।
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सबसे कम एरोबिक और मांसपेशियों की फिटनेस वाले लोगों में 98 प्रतिशत अवसाद (depression), 60 प्रतिशत चिंता (anxiety) और सामान्य मानसिक स्वास्थ्य विकारों में से कोई एक 81 प्रतिशत बढ़ा हुआ था।
एक्सरसाइज करने वालों को कम मानसिक बीमारियां
पिछले अध्ययनों में पाया गया था कि जो लोग अधिक व्यायाम करते है, उन्हें मानसिक बीमारियों का अनुभव होने की संभावना कम होती है।
लेकिन नए निष्कर्ष बताते हैं कि लोगों को अधिक व्यायाम करने के लिए प्रोत्साहित करने से व्यापक सार्वजनिक स्वास्थ्य लाभ हो सकते है, जिससे न केवल हमारे शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि हमारे मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार होगा।
कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग दोनों को सुधारना, सिर्फ एरोबिक या मांसपेशियों की फिटनेस पर ध्यान केंद्रित करने की तुलना में अधिक फायदेमंद है।