बेहतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बचपन से ही पौष्टिक आहार के साथ-साथ व्यायाम के महत्व को समझना जरूरी है, ऐसा फिजियोलॉजी एंड बिहेवियर पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला।
चूहों पर हुए नए अध्ययन के बाद अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के विशेषज्ञों का कहना था कि बचपन में किए व्यायाम (exercise) और स्वस्थ आहार (healthy diet) से वयस्क होने पर दिमाग का आकार विस्तृत और चिंता का स्तर कम हो सकता है।
इसके अलावा, छोटी उम्र में ही व्यायाम शुरू करने से वयस्कों का शरीर भी लंबे समय तक गठीला बना रह सकता है।
हालांकि, अच्छी सेहत के लिए संतुलित आहार और व्यायाम की लगातार सलाह दी जाती है, लेकिन अध्ययन ने बचपन में ही दोनों की शुरुआत करने के दीर्घकालिक प्रभावों को देखा।
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अध्ययन में ज्यादा वसा और मीठे से बने पैकेटबंद फूड के सेहत पर होने वाले बुरे असर को बताते हुए कहा गया कि चूहों को भी जब ऐसा खाना दिया गया तो बड़े होने पर वो मोटे हो गए और अस्वस्थ आहार खाने की उनकी आदतें भी नहीं बदली।
अस्वस्थ खाने और मोटापे के पीछे वसा कोशिकाओं द्वारा उत्पादित लेप्टिन हार्मोन की भूमिका निर्णायक रही।
इस हार्मोन से शरीर ने ज्यादा ऊर्जा खर्च कर वजन को नियंत्रित रखा और पेट भरने का संकेत जल्दी दिया।
विशेषज्ञों ने कहा कि जीवन में जल्द व्यायाम शुरू करने और अच्छा भोजन खाने से वयस्कों में लेप्टिन का स्तर बढ़ जाता है, जो आहार बदलने पर भी प्रभावी रहता है।
यूनिवर्सिटी के पिछले अनुसंधान में यह भी पाया गया था कि बचपन में बहुत अधिक जंक फूड खाने से बच्चों के पेट के बैक्टीरिया कमजोर हो जाते है, जो जवानी में अच्छा खाना खाने से भी ठीक नहीं हो पाते और विभिन्न बीमारियों का कारण बनते है।
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विशेषज्ञों के अनुसार, इससे व्यायाम में कमी और आहार परिवर्तन के सेहत पर हुए संभावित प्रभावों को समझने में आसानी हो सकती है।
वैसे भी COVID-19 के कारण बच्चों की शारीरिक गतिविधियां बहुत सीमित हो गई है। इसलिए बढ़ते बच्चों के लिए अब ऐसे समाधान खोजे जाने चाहिए, जो उन्हें सक्रिय और तनाव मुक्त रख सकें।
ऐसे में व्यायाम एकमात्र ऐसा उपचार है, जो आज के बच्चों और भविष्य के बड़ों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होगा।
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