शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम का दावा है कि जीवनशैली का सही प्रबंधन हमें बहुत से गैर-संक्रामक रोगों (non-communicable diseases) से बचा सकता है।
अध्ययन का नेतृत्व लिथुआनिया के कॉनस यूनिवर्सिटी ऑफ़ टेक्नोलॉजी (KTU) के वैज्ञानिकों ने किया।
उनके अनुसार, कैंसर, डायबिटीज, हृदय और सांस-संबंधी रोगों की रोकथाम के लिए विभिन्न स्तरों पर कई रणनीतियों की आवश्यकता है।
इन गैर-संक्रामक रोगों (एनसीडी) की चिकित्सा लम्बी समयावधि और धीमी प्रगति से जुड़ी है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, एनसीडी दुनिया भर में मौत का प्रमुख कारण है। हर साल होने वाली कुल मौतों में इनका हिस्सा 71 प्रतिशत है।
गैर-संक्रामक रोग बढ़ाने वाले कारक
विभिन्न आंकड़ों के अनुसार, परिवर्तनीय (यानी हाई ब्लड प्रेशर, धूम्रपान, शारीरिक निष्क्रियता, मोटापा) और गैर-परिवर्तनीय (जैसे उम्र, लिंग, आनुवांशिक कारक) ऐसे जोखिम कारक है जो एनसीडी के विकास में योगदान करते है।
हालाँकि, कोई अपनी उम्र या लिंग नहीं बदल सकता है, लेकिन हर व्यक्ति अपने सांस्कृतिक या सामाजिक वातावरण में बदलाव कर सकता है।
इसके अलावा, पश्चिमी जीवनशैली के प्रसार और अस्वास्थ्यकर आहार के कारण सभी रोग फैल रहे है।
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शोधकर्ताओं के अनुसार, बीमारियों के मुख्य कारक दवाएँ, ब्लड प्रेशर, लिपिड, ग्लूकोज, वायरस, मोटापा और तनाव है। इसके अलावा मांस खाना, चीनी से बने मीठे पेय पदार्थ का सेवन, रिफाइंड भोजन, कम फाइबर को भी एनसीडी के विकास से जोड़ा गया है।
शोधकर्ताओं का दावा है कि वैश्विक कोरोना महामारी का प्रभाव इन रोगों पर विनाशकारी हो सकता है क्योंकि लॉकडाउन और अकेलेपन के दौरान लोग अधिक खाते है और कम व्यायाम करते है।
कैसे बदले लाइफस्टाइल को
वैज्ञानिकों ने लाइफस्टाइल फैक्टर, जैसे कि फिजिकल एक्टिविटी, न्यूट्रिशन, तंबाकू और शराब की खपत नियंत्रण को कुछ चिकित्सा स्थितियों से जोड़ा है।
उनके अनुसार, दुनिया को सुरक्षित और स्वस्थ बनाने के लिए सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को लोगों को उनके स्वास्थ्य और पर्यावरण के बारे में जागरूक करना चाहिए।
वैज्ञानिकों का दावा है कि गैर-संक्रामक रोगों के बढ़ते संकट को सफलतापूर्वक हल करने के लिए स्वस्थ खान-पान के तरीके, फिजिकल एक्टिविटी, जीवनशैली में बदलाव और धूम्रपान की समाप्ति पर ध्यान केंद्रित करना महत्वपूर्ण है।
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