बॉक्सिंग (Boxing) के अभ्यास से पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease) के लक्षणों में कमी आ सकती है, ऐसा एक हालिया स्टडी का सुझाव है।
तीन महीने तक चली स्टडी के नतीजों में, बॉक्सिंग प्रोग्राम में शामिल शुरुआती पार्किंसंस वाले मरीजों के मोटर और गैर-मोटर लक्षणों में सुधार दर्ज किया गया।
जानकारी देने वाले रश मेडिकल कॉलेज के रिसर्चर्स का कहना था कि पार्किंसंस में एक्सरसाइज लाभकारी है और नतीजे इसका सबूत भी देते है। दवाओं की तरह एक्सरसाइज भी पार्किंसंस रोग के उपचार का हिस्सा होनी चाहिए।
उनकी स्टडी में स्टेज टू पार्किंसंस (Stage two Parkinson’s) के 14 मरीज भर्ती किए गए थे, जिन्होंने बॉक्सिंग का एक विशेष प्रोग्राम पूरा किया।
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बता दें कि पार्किंसंस के पांच स्टेज में से स्टेज टू कंपकंपी, शरीर में जकड़न, चलने में दिक्कत और खराब शारीरिक संतुलन जैसी समस्याओं से जुड़ा है।
रिसर्चर्स ने प्रोग्राम से पहले और बाद में रोगियों के पार्किंसंस लक्षणों की जांच की।
उन्होंने रोगियों के मोटर लक्षणों के साथ-साथ गैर-मोटर लक्षणों जैसे डिप्रेशन, चिंता, नींद की समस्या, दर्द, उदासीनता और भूलने जैसी परेशानियों को भी देखा।
नतीजों में मोटर लक्षणों के साथ-साथ इन समस्याओं में भी उल्लेखनीय कमी पाई गई।
रिसर्चर्स का मानना है कि बैलेंस, फुटवर्क, ताकत, हाथ-आँखों के कोऑर्डिनेशन तथा कार्डियोवैस्कुलर और एरोबिक एक्सरसाइज जैसी ट्रेनिंग के कारण पार्किंसंस रोग वालों के लिए बॉक्सिंग लाभकारी साबित हो सकती है।
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यही नहीं, हाथों-पैरों की विभिन्न मूवमेंट्स करने से सोचने-समझने की दिमागी क्षमता भी बढ़ती है।
इस बारे में ज़्यादा जानकारी न्यूरोलॉजी जर्नल में छपी रिपोर्ट से मिल सकती है।