उच्च वायु प्रदूषण (Higher air pollution) वाले क्षेत्रों में कड़ी एक्सरसाइज (Exercise) करने से दिमाग को कम फायदा होता है, ये कहना है एक अमेरिकी स्टडी का।
एरिज़ोना यूनिवर्सिटी के खोजकर्ताओं की हालिया स्टडी में पाया गया है कि उच्च वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में जॉगिंग या अन्य एक्टिविटी करने वालों के मस्तिष्क स्वास्थ्य पर कम लाभकारी असर पड़ता है।
स्टडी में मस्तिष्क के अंदर रोगजनक व्हाइट मैटर हाइपरइंटेंसिटी (White matter hyperintensities) का स्तर अधिक देखा गया, जबकि ग्रे मैटर (Gray matter) का स्तर स्थिर रहा।
बता दें कि मस्तिष्क में ग्रे मैटर वॉल्यूम अधिक और व्हाइट मैटर हाइपरइंटेंसिटी छोटे नजर आना बेहतर मस्तिष्क स्वास्थ्य का संकेत देता है।
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स्टडी करने वालों के अनुसार, अधिक वायु प्रदूषण में कड़ी एक्सरसाइज मस्तिष्क पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है और एक्सरसाइज के लाभ नहीं मिलते।
नतीजों में कम वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में की गई एक्टिविटी मस्तिष्क स्वास्थ्य के लिए बेहतर पाई गई, जबकि वायु प्रदूषण के उच्चतम स्तर वाले क्षेत्रों में कड़ी एक्सरसाइज से मिलने वाले लाभ गायब रहे।
स्टडी में यूके बायोबैंक के एक बड़े बायोमेडिकल डेटाबेस से 56 वर्ष की औसत आयु वाले 8,600 लोगों पर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर से होने वाले प्रदूषण का असर जाना गया।
प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक एक्टिविटी को एक सप्ताह के लिए एक्सेलेरोमीटर से जांचा गया।
जिन लोगों ने हर हफ्ते सबसे अधिक जोरदार फिजिकल एक्टिविटी की थी, उनमें औसतन 800 सेमी3 ग्रे मैटर वॉल्यूम था। जबकि, कड़ी एक्सरसाइज नहीं करने वालों में औसतन 790 सेमी3 ग्रे मैटर वॉल्यूम था।
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प्रदूषित हवा में एक्सरसाइज करने से ग्रे मैटर की मात्रा पर तो कोई असर नहीं हुआ, लेकिन कम वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में की गई कड़ी एक्सरसाइज ने व्हाइट मैटर हाइपरइंटेंसिटी की उच्चता को जरूर कम कर दिया।
ये लाभ उच्च वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में एक्सरसाइज करने पर देखने को नहीं मिला।
विशेषज्ञों के अनुसार, इसका यह कतई मतलब नहीं कि प्रदूषित इलाकों के निवासी एक्सरसाइज न करें। हां, सड़कों की धूल और ट्रैफिक के धुंए से दूर हटकर सायकिलिंग, दौड़ना या खेलना जारी रखे।
यह स्टडी अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के मेडिकल जर्नल, न्यूरोलॉजी में प्रकाशित हुई है।
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