चलना, तैरना, दौड़ना या साइकिल चलाने जैसी एरोबिक एक्ससाइज दिमागी सेहत (Aerobic exercise for brain health) के लिए बहुत फायदेमंद है, यह कहना है एक रिसर्च का।
अमेरिका के कोलोराडो स्टेट यूनिवर्सिटी की इस रिसर्च में दिमाग के न्यूरॉन्स के बीच संकेतों को जोड़ने वाले व्हाइट मैटर (White matter) पर एरोबिक एक्सरसाइज से सकारात्मक प्रभाव देखने को मिले है।
रिसर्च का दावा है कि इससे उम्र बढ़ने पर भी याददाश्त कमजोर नहीं होती और कई दिमागी विकारों में कमी आती है।
न्यूरोइमेज जर्नल में प्रकाशित रिसर्च का सुझाव है कि नियमित एरोबिक एक्सरसाइज करना दिमागी कार्यकुशलता में कमी दूर करने के लिए एक प्रभावी रणनीति साबित हो सकती है।
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सबूत जुटाने के लिए यूनिवर्सिटी की टीम ने 180 बुजुर्गों पर एक प्रयोग किया। सभी बुजुर्ग स्वस्थ थे लेकिन एक्सरसाइज नहीं करते थे।
उन सभी को छह महीने के लिए तीन ग्रुप में बांटा गया।
एक ग्रुप के बुजुर्गों को सप्ताह में तीन बार 40 मिनट वॉक करनी थी। दूसरे ग्रुप को डांस क्लास में भेजा गया और तीसरे ग्रुप के बुजुर्गों से हल्की-फुल्की स्ट्रेचिंग या बैलेंस की एक्सरसाइज करवाई गई।
सभी के मस्तिष्क पर ऐसी एक्टिविटी करने से क्या प्रभाव पड़ा, इसका आकलन एमआरआई स्कैन और अन्य टेस्ट से पता किया गया।
टीम ने पाया कि छह महीने तक डांस और चलने जैसी एरोबिक एक्सरसाइज करने वालों के दिमाग में व्हाइट मैटर की वृद्धि हुई थी, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जो उम्र बढ़ने पर कमजोर होते जाते है।
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इसके अलावा, चलने वाले ग्रुप ने याददाश्त बढ़ने का ज्यादा अनुभव किया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि उनके दिल पर चलने से ज्यादा असर पड़ा था।
टीम के अनुसार, हृदय गति बढ़ाने वाली एक्सरसाइज मस्तिष्क की उम्र बढ़ने के कुछ दुष्प्रभावों को बेहतर तरीके से निपटा सकती है।
हालांकि, जिन बुजुर्गों ने सिर्फ स्ट्रेचिंग या बैलेंसिंग एक्सरसाइज की थी, उनके व्हाइट मैटर और याददाश्त को कोई लाभ नहीं हुआ।