पीठ दर्द की समस्या को लगभग 80% वयस्क अपने जीवनकाल में हर रोज अनुभव करते है। लेकिन अनुचित तरीके से बैठने, उठने, चोट, तनाव या भारी वस्तु को झटके से उठाने के परिणामस्वरूप होने वाले लो बैक पेन को रोका जा सकता है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूटस ऑफ हेल्थ द्वारा सुझाए इन उपायों से पीठ को स्वस्थ और दर्द से बचाव किया जा सकता है।
लो बैक पेन आमतौर पर 30 से 50 वर्ष की उम्र के बीच शुरू होता है। इंटरवर्टेब्रल डिस्क उम्र बढ़ने के साथ अपनी तरलता और लचीलेपन को खोना शुरू कर देती है, जिससे रीड की हड्डी को सहारा देने की उनकी क्षमता कम हो जाती है। इसलिए हेल्दी वजन बनाए रखें और हड्डियों के विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिदिन कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन डी के सेवन के साथ पौष्टिक आहार ले।
पीठ दर्द उन लोगों में अधिक आम है जो शारीरिक रूप से फिट नहीं होते। कमजोर पीठ और पेट की मांसपेशियां रीढ़ को ठीक से सहारा नहीं दे सकती। जो लोग हर रोज मध्यम श्रेणी की शारीरिक गतिविधि करते हैं उनकी तुलना में पूरे हफ्ते निष्क्रिय रहने के बाद जिम जाने वाले और बहुत अधिक व्यायाम करने वाले लोगों में कमर दर्द और चोट की संभावना अधिक होती है।
मांसपेशियों को मजबूत और लचीला बनाए रखने के लिए नियमित व्यायाम करें। अध्ययन बताते हैं कि हल्के एरोबिक व्यायाम इंटरवर्टेब्रल डिस्क की मजबूती को बनाए रखने में मदद कर सकते है। अपनी उम्र के अनुसार लो इम्पैक्ट एक्सरसाइज, जो विशेष रूप से पीठ के निचले हिस्से और पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए लक्षित हो, के लिए एक चिकित्सक से परामर्श करें।
सुनिश्चित करें कि काम की जगह एक आरामदायक ऊंचाई पर हो। आरामदायक, कम एड़ी वाले जूते पहनें।अक्सर अपने बैठने की स्थिति को बदले और समय-समय पर कार्यालय में घूमें या धीरे-धीरे मांसपेशियों को स्ट्रेच करें। पीठ के पीछे एक तकिया या मोटा तौलिया रखे जो रीढ़ को सहारा दे सकता हो। लंबे समय तक एक ही जगह न बैठे। कोशिश करें कि उठें और हर 20 मिनट में थोड़ा टहले।
उन वस्तुओं को उठाने की कोशिश न करें जो बहुत भारी हो। ऐसी वस्तुओं को घुटने मोड़ कर उठाएं, पेट की मांसपेशियों को अंदर खींचें और सिर को नीचे और एक सीधी पीठ के साथ रखें। उठाते समय वस्तुओं को शरीर के पास रखें और मुड़ें नहीं।
हमेशा एक ठोस सतह पर सोएं। सुनिश्चित करें कि आप औसतन हर 8 साल में अपने गद्दे को बदल लें। अपने पेट पर सोने से बचें (कई लोगों मे यह रीढ़ और गर्दन के जोड़ पर दबाव डाल सकता है)। सोते वक्त घुटनों को पेट की ओर मोड़ कर एक तरफ सोने से रीढ़ के जोड़ों ओर हड्डी पर कम दबाव पड़ता है।
धूम्रपान छोड़े। धूम्रपान करने से रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जो रीढ़ की हड्डी की विकृति को बढ़ा सकता है। धूम्रपान से ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा भी बढ़ जाता है और उपचार में बाधा आती है। भारी धूम्रपान के कारण खांसी होने से भी कमर दर्द हो सकता है।