लंबे समय तक जीने और कम मृत्यु दर के लिए किसी भी तरह की एक्सरसाइज (Exercise) जरूरी है, ये निष्कर्ष है एक स्टडी का।
स्ट्रोक के मरीजों (Stroke patients) की सेहत पर एक्सरसाइज के प्रभाव बताते हुए स्टडी के एक्सपर्ट्स का कहना था कि प्रति सप्ताह कम से कम तीन से चार घंटे टहलने, बागवानी करने या हफ्ते में कम से कम दो से तीन घंटे साइकिल चलाने वाले मरीजों के मरने का खतरा 54 फीसदी कम हो सकता है।
ऐसी एक्टिविटी करने से स्ट्रोक से ठीक हुए युवाओं को सबसे अधिक लाभ मिलता है।
यही नहीं, 75 वर्ष से कम आयु वालों को इतने समय तक एक्सरसाइज करने से मरने का जोखिम 80 फीसदी कम होते देखा गया है।
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नतीजों से प्रभावित स्टडी एक्सपर्ट्स ने स्ट्रोक से उबरने वालों की बेहतरी के लिए उपचार के तौर पर एक्सरसाइज और सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियान तैयार करने का सुझाव भी दिया है।
इस स्टडी में 72 वर्षीय 895 स्ट्रोक मरीजों और 63 वर्षीय बिना स्ट्रोक वाले 97,805 लोगों को शामिल किया गया था।
आदतन उनमें से कुछ रोजाना चलने, दौड़ने, बागवानी, वेट ट्रेनिंग, साइकिल चलाना और तैराकी करने वाले थे। सभी पर औसतन साढ़े चार साल तक नजर रखी गई।
देखा गया कि 33 फीसदी मरने वाले स्ट्रोक के वो मरीज थे जिन्होंने हर हफ्ते कम से कम तीन से चार घंटे एक्सरसाइज नहीं की थी। उनके मुकाबले हर हफ्ते इतने ही समय तक चलने वालों में से केवल 15 फीसदी स्ट्रोक मरीजों की मौत हुई।
जिन लोगों को कभी स्ट्रोक नहीं हुआ था, उनके समूह में भी एक्सरसाइज न करने वाले 8 फीसदी लोगों की मौत हुई। लेकिन, एक्सरसाइज करने वाले केवल 4 फीसदी ही मरे।
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स्ट्रोक पीड़ित 75 वर्ष से कम उम्र वालों की मृत्यु दर में एक्सरसाइज करने से सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। यह कमी लगभग 80 फीसदी थी।
मरने वाले स्ट्रोक मरीजों में 11 फीसदी के मुकाबले 29 फीसदी मरीज एक्सरसाइज नहीं करते थे।
थोड़ी-बहुत एक्सरसाइज करने से 75 वर्ष से अधिक आयु वाले स्ट्रोक मरीजों को भी लाभ हुआ। उनकी मृत्यु की संभावना 32 फीसदी कम मिली।
नतीजे बताते हैं कि सीमित एक्सरसाइज करने पर भी स्ट्रोक से बचे मरीजों की किसी भी कारण से मौत कम हो सकती है। इसलिए कम उम्र वाले स्ट्रोक से बचे लोगों को चाहिए कि वे हर दिन केवल तीस मिनट ही सही, लेकिन टहलने जरूर जाए।
यह स्टडी अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के मेडिकल जर्नल, न्यूरोलॉजी के ऑनलाइन अंक में प्रकाशित हुई है।