किसी इंसान की कमर से कूल्हे तक का अनुपात (Waist to hip ratio – WHR) बॉडी मास इंडेक्स (Body Mass Index – BMI) की अपेक्षा उसके स्वास्थ्य (Health) और असमय मृत्यु (Early death) की बेहतर भविष्यवाणी कर सकता है, ऐसा एक स्टडी से पता चला है।
स्टडी करने वाले आयरलैंड के मेडिकल एक्सपर्ट्स ने BMI की अपेक्षा WHR को स्वस्थ वजन जानने का एक बेहतर उपाय मानने की सलाह दी है।
25,000 से अधिक पुरुषों और महिलाओं की स्वास्थ्य जांच के बाद कम WHR वालों में जल्द मृत्यु का जोख़िम सबसे निचले स्तर का देखा गया। लेकिन WHR बढ़ने पर असमय मौत का ख़तरा भी अधिक होता गया।
यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत यह स्टडी डायबिटोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित की हुई थी।
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मेडिकल जगत में अभी तक BMI का उपयोग किसी व्यक्ति की स्वस्थ वजन सीमा को मापने के लिए किया जाता है।
लेकिन मेडिकल एक्सपर्ट्स के अनुसार, BMI शरीर में जमा फैट का वितरण नहीं बताता है। परिणामस्वरूप, इससे बीमारी या मृत्यु दर की पक्की भविष्यवाणी नहीं हो सकती है।
यूके बायोबैंक के डाटा का विश्लेषण करके एक्सपर्ट्स टीम ने जाना कि जिन पुरुषों और महिलाओं में वजन या मोटापे बढ़ाने वाले जीन थे, उनमें कूल्हों की अपेक्षा कमर पर चढ़ा अधिक फैट वास्तव में मृत्यु दर में वृद्धि का कारण था।
वर्षों तक उनकी सेहत की जानकारी इकट्ठा करने के बाद हुए विश्लेषण में, WHR को BMI या FMI (Fat Mass Index) की तुलना में सर्व-मृत्यु दर से अधिक मजबूती से जुड़ा पाया गया।
WHR में प्रत्येक एक-यूनिट की वृद्धि ने BMI या FMI में एक यूनिट की वृद्धि की अपेक्षा जल्दी मृत्यु की संभावना को लगभग दोगुना बढ़ा दिया था।
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गौरतलब रहा कि WHR और सर्व-मृत्यु दर के बीच का संबंध महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक मजबूत था।
एक्सपर्ट्स के अनुसार, WHR पेट और आंत में जमा हानिकारक चर्बी के स्तर को बेहतर ढंग से दर्शाता है। इसी से टाइप 2 डायबिटीज और हृदय रोग सहित कई समस्याओं का जोखिम बढ़ता है।
सही अर्थों में WHR जितना कम होगा, किसी इंसान की सेहत उतनी ही अच्छी होगी और मृत्यु दर कम रहेगी।
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