एक बड़े अध्ययन से पता चला है कि दुनिया भर में ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) के मरीज़ लगातार बढ़ते ही जा रहे है।
इस बारे में चीन के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी (Global Burden of Disease Study 2019) से प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण के बाद जानकारी दी है।
उनका यह विश्लेषण वर्ष 1990 से 2019 तक के वैश्विक आंकड़ों पर आधारित है।
इन आंकड़ों को 156 से अधिक देशों और क्षेत्रों के 7,000 से अधिक शोधकर्ताओं के एक संघ ने एकत्रित किया था।
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इनमें 350 से अधिक बीमारियों और दुर्घटनाओं की चोटों से हुई अकाल मृत्यु और विकलांगता का विवरण दिया गया था।
जांचकर्ताओं ने पाया कि विश्व स्तर पर ऑस्टियोआर्थराइटिस के मामले वर्ष 1990 में 24 करोड़ 75 लाख 10 हजार से बढ़कर वर्ष 2019 तक 52 करोड़ 78 लाख 10 हजार हो गए थे।
बता दें कि ऑस्टियोअर्थराइटिस गठिया का सबसे आम रूप है। यह जोड़ों के बीच कार्टिलेज क्षतिग्रस्त हो जाने से होता है। फलस्वरूप, जोड़ों में दर्द और सूजन के साथ-साथ उनकी हिलने-डुलने की गति भी कम हो जाती है।
यह बीमारी हाल के वर्षों में दुनिया भर में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है।
विश्लेषण की मानें तो उम्र के हिसाब से घुटने, कूल्हे और अन्य जोड़ों में ऑस्टियोआर्थराइटिस के सालाना मामले बढ़े है, लेकिन हाथ के मामलों का प्रतिशत कम भी हुआ है।
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बढ़ती उम्र में ऑस्टियोआर्थराइटिस की व्यापकता पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में अधिक पाई गई है। इसके अलावा, विकासशील देशों में ऑस्टियोआर्थराइटिस का अधिक प्रसार देखने को मिला है।
घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस से ज्यादा लोग परेशान रहे और हेल्थ केयर सिस्टम पर ज्यादा बोझ देखा गया है, जबकि अधिकांश क्षेत्रों में कूल्हे के ऑस्टियोआर्थराइटिस से जुड़े मामलों में सबसे अधिक अनुमानित वार्षिक प्रतिशत वृद्धि हुई है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इंसानों में ऑस्टियोआर्थराइटिस का बढ़ता रोग डराने वाला है। जनसंख्या विस्तार, उम्र बढ़ने और मोटापे की महामारी के कारण निकट भविष्य में इसके और बढ़ने की उम्मीद है।
बीमारी से बचाव में अधिक वजन या मोटापे, घुटने की चोट और जोड़ों पर भार डालने वाले भारी-भरकम कार्यों से परहेज़ ही प्रभावी उपाय हैं।
इसके अलावा, एक्सरसाइज थेरेपी भी किसी तरह के नुकसान में देरी ला सकती है और घुटने के ऑस्टियोआर्थराइटिस के लिए मुख्य उपचार के रूप में की जानी चाहिए।
यह स्टडी अमेरिकन कॉलेज ऑफ रुमेटोलॉजी की आधिकारिक पत्रिका, आर्थराइटिस एंड रुमेटोलॉजी में प्रकाशित हुई है।