इंसानों की सर्कैडियन घड़ी (Circadian Clock) में खराबी से उनके ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) पर बुरा असर पड़ता है।
ऐसी स्थिति लगातार बनी रहने से पीड़ितों में स्ट्रोक (Stroke) और जल्द मौत का ख़तरा बढ़ता है।
ये चौंकाने वाला खुलासा किया है यूएस वैज्ञानिकों की एक नई स्टडी ने।
चूहों पर हुई स्टडी में शरीर की बॉडी क्लॉक बिगड़ने से जीवनकाल (Lifespan) छोटा होने की संभावना मिली है।
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मोरहाउस स्कूल ऑफ मेडिसिन की नई स्टडी अमेरिकन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी-हार्ट एंड सर्कुलेटरी फिजियोलॉजी में छपी है।
रिसर्चर्स ने बॉडी क्लॉक में खराबी से रात के समय ब्लड प्रेशर में होने वाली प्राकृतिक कमी भी गायब पाई है।
स्टडी का उद्देश्य किडनी की कार्यप्रणाली पर खराब सर्कैडियन घड़ी के शारीरिक प्रभावों को जानना बताया गया है।
गौरतलब है कि रोशनी से नियंत्रित मस्तिष्क की केंद्रीय घड़ी सोने, जागने व भोजन चक्र को व्यवस्थित रखती है।
इस कारण रात में काम करने वालों की नींद और भोजन के समय में बदलाव से केंद्रीय घड़ी गड़बड़ा जाती है।
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नतीजन, ऐसे इंसानों को कई तरह की गंभीर समस्याओं का ख़तरा बढ़ने का अंदेशा रहता है।
उदाहरण के लिए, अधिकांश स्वस्थ लोगों के ब्लड प्रेशर में रात को 10-15% की गिरावट होती है।
लेकिन जब ब्लड प्रेशर इस लय का पालन नहीं कर पाता है, तो हृदय संबंधी रोग पनपने लगते है।
स्टडी में चूहों की सर्कैडियन घड़ी को बाधित करने से उनके ब्लड प्रेशर पर बुरा असर देखा गया।
ऐसी स्थिति वाले चूहों को जल्द ही स्ट्रोक पड़ने की संभावना थी, जिससे उनके जीवन को ख़तरा पाया गया।
हालांकि, इंटरमिटेंट फास्टिंग अपनाने से स्ट्रोक की शुरुआत में देरी सहित महत्वपूर्ण सुरक्षा देखने को मिली।
निष्कर्षों की मानें तो सर्कैडियन घड़ी के लगातार बाधित रहने से दिल की प्राणघाती बीमारियों का ख़तरा बढ़ता है।