Insomnia: एक नई स्टडी ने रात की ख़राब नींद (Poor sleep) वालों को स्ट्रोक (Stroke) पड़ने की संभावना अधिक बताई है।
सोने में परेशानी, नींद न आना और जल्दी आंख खुलने से स्ट्रोक का भारी ख़तरा मिला है।
यह ख़तरा 50 वर्ष या अधिक उम्र वालों की अपेक्षा कम उम्र के लोगों में ज़्यादा देखा गया है।
न्यूरोलॉजी जर्नल में प्रकाशित यह स्टडी अमेरिका स्थित वर्जीनिया कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी की है।
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हालाँकि, स्टडी ने ख़राब नींद के लक्षणों को स्ट्रोक का कारण न बताकर केवल एक जुड़ाव दिखाया है।
इसमें 61 वर्ष के 31,126 लोग शामिल थे जिन्हें स्टडी की शुरुआत में कोई स्ट्रोक समस्या नहीं थी।
उनसे रात को सोने, जागने, उठने, फिर से सोने व सुबह आराम महसूस न कर पाने के बारे में जाना गया।
इसके बाद सभी इंसानों पर औसतन नौ साल तक नज़र रखी गई। उस दौरान स्ट्रोक के 2,101 मामले सामने आए।
स्ट्रोक के अन्य कारणों की जांच के बाद, विशेषज्ञों ने इंसोमनिया (Insomnia) के एक से चार लक्षणों वालों को 16% अधिक ख़तरा पाया।
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इंसोमनिया रोगी को पर्याप्त नींद नहीं आती है। ज़रूरत मुताबिक़ आराम न मिलने से स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
स्टडी में, इंसोमनिया के पांच से आठ लक्षण वालों में स्ट्रोक का जोखिम 51% बढ़ा हुआ मिला।
50 वर्ष से कम आयु के वयस्कों में ख़राब नींद के लक्षणों व स्ट्रोक पड़ने के बीच की कड़ी मजबूत थी।
बिना किसी लक्षण वालों की तुलना में पांच से आठ लक्षणों वालों को स्ट्रोक का ख़तरा लगभग चार गुना अधिक था।
समान लक्षणों के 50 या अधिक उम्र वालों में अच्छी नींद वालों की अपेक्षा स्ट्रोक का 38% अधिक जोखिम था।
बढ़ती उम्र में हाई बीपी और डायबिटीज जैसे स्ट्रोक कारणों में वृद्धि से इंसोमनिया के लक्षण प्रभावित हो सकते है।
स्ट्रोक की रोकथाम के लिए कम उम्र में ही ख़राब नींद पर ध्यान देने और इलाज करवाने की आवश्यकता है।
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