घंटो कंप्यूटर या टेलीविजन देखने में समय बिताने से किशोरों, विशेषकर बढ़ती उम्र की लड़कियों के मानसिक स्वास्थय में गिरावट दर्ज की गयी। लेकिन खेल और कला से जुड़े कार्यों को करने पर किशोरियों ने मानसिक स्वास्थय से साथ-साथ जीवन में अधिक संतुष्टि और आशावाद (optimism) को महसूस किया।
जर्नल प्रिवेंटिव मेडिसिन में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने सातवीं कक्षा के 28,712 छात्रों को शामिल किया। ये छात्र ब्रिटिश कोलंबिया के 27 जिलों के 365 स्कूलों से चुने गए थे।
शोध से क्या पता चला
अध्ययन में पाया गया कि छात्रों द्वारा की गयी एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज उनके बेहतर मानसिक स्वास्थ्य परिणामों से जुड़ी थी
- Advertisement -
अध्ययनकर्ताओं ने किशोरों द्वारा मनोरंजन के लिए वीडियो गेम खेलना, टीवी देखना और इंटरनेट का उपयोग करने की एक्टिविटी को खेल-कूद और आर्ट वर्क करने जैसे एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज के साथ तुलना करके देखा। उसके बाद उन्होंने इन सभी एक्टिविटी का दिमाग की सेहत पर पड़ने वाले पॉजिटिव और नेगेटिव प्रभाव का तुलनात्मक अध्ययन किया।
दो घंटे से ज्यादा किसी उपकरण की स्क्रीन के आगे बिताया गया समय जीवन के प्रति कम संतुष्टि और आशावाद में कमी से जुड़ा हुआ था। साथ ही, स्क्रीन पर ज्यादा समय बिताने वालों में चिंता और अवसाद के लक्षण का स्तर बढ़ा हुआ मिला। हालाँकि ज्यादा स्क्रीन समय ने लड़कों की बजाय लड़कियों की मानसिक सेहत को अधिक नकारात्मक ढंग से प्रभावित किया।
इससे क्या समझें
शोधकर्ताओं के मुताबिक, लड़कों और लड़कियों दोनों के ही बीच, जो किशोर अतिरिक्त गतिविधियों में भाग लेते थे और स्क्रीन पर दो घंटे से कम समय बिताते थे, उनका मानसिक स्वास्थ्य सबसे मजबूत था। इसलिए लंबे समय तक स्क्रीन समय (दिन में दो घंटे से अधिक) जीवन संतुष्टि और आशावाद के निचले स्तर और चिंता और अवसाद के उच्च स्तर से जुड़ा था। किशोरो को स्कूल के बाद खेल और कला कार्यक्रमों जैसे बाहरी अतिरिक्त गतिविधियों में भाग ज्यादा लेना चाहिए।