इम्यून सिस्टम की बेहतरी के लिए ताड के तेल (palm oil) का सेवन फायदेमंद बताया गया है।
ताड़ के तेल में प्रचुर मात्रा में विटामिन ई (Vitamin E) यौगिक होते हैं, जिसमें टोकोफेरोल (tocopherols) और टोकोट्रिनोल (tocotrienols) शामिल होते है।
इन यौगिकों में एंटीऑक्सीडेंट होते है, जो कोशिकाओं को चयापचय प्रक्रियाओं (metabolic processes) द्वारा पैदा हुए विषाक्त रसायनों के नुकसान से बचाता है।
हालांकि, टोकोफ़ेरॉल एक व्यापक रूप से ज्ञात और प्रमाणित यौगिक है, लेकिन टोकोट्रिनोल के बारे में जानने के लिए बहुत कुछ शेष है।
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करंट फार्मास्युटिकल बायोटेक्नोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला है कि चूहों के लिवर की कोशिकाओं में ताड़ के तेल (palm oil) से निकाला गया विटामिन ई इस्तेमाल कर शरीर की प्रतिरक्षा (immunity) को बढ़ाने में मदद मिली है।
मलेशिया और लीबिया के शोधकर्ताओं की एक टीम ने ताड़ के तेल से निकाले गए टोकोट्रिनॉल को चूहों के लिवर की कोशिकाओं पर इस्तेमाल किया।
टीम ने जीन अनुक्रम की एक आरएनए प्रतिलिपि बनाने की प्रक्रिया करने वाले कारक, Nrf2 से प्रभावित जीन के स्तर की जांच की। इसी कारक को सेलुलर नुक्लियस में स्थानांतरित किया। Nrf2 चयापचय प्रक्रियाओं (metabolic processes) के दौरान फेज II दवा के इस्तेमाल को नियंत्रित करने के लिए जाना जाता है।
शोध में पाया गया कि तेल के इस्तेमाल से जीन सेलुलर रक्षा तंत्र को सक्रिय करते है।
शोधकर्ताओं ने देखा कि लिवर सेल न्यूक्लियस में Nrf2 के जगह बदलने (translocation) का अधिकतम प्रभाव पॉम ऑयल एक्सट्रेक्ट डालने के 60 मिनट के भीतर हुआ।
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शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि ये निष्कर्ष विभिन्न प्रकार के रोगों के लिए आसानी से उपलब्ध उपचार दिखाएंगे।
पाम तेल विटामिन ई का एक किफायती स्रोत है। कई अध्ययनों ने इसका प्रतिरक्षा प्रणाली पर लाभकारी प्रभाव दिखाया है, जिसमें एंटी-ऑक्सीडेंट और कैंसर विरोधी गतिविधि शामिल है और साथ ही कोशिकाओं को बाहरी आक्रमण से बचती क्रियाएं भी है।