वयस्कों और बुजुर्गों के अलावा, युवाओं को भी हार्ट अटैक (Heart attack) तथा स्ट्रोक (Stroke) पड़ने का ख़तरा है।
इस विषय पर हुई कोरिया की एक स्टडी ने कई चौंकाने वाले ख़ुलासे किए है।
स्टडी में मानसिक समस्याओं (Mental disorders) वाले 20 और 30 वर्षीय युवाओं की जांच की गई थी।
नतीजों में मानसिक रूप से परेशान युवाओं को हार्ट अटैक और स्ट्रोक के ख़तरे में तिगुनी वृद्धि की संभावना मिली।
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यह स्टडी कोरिया गणराज्य के 65 लाख से अधिक नागरिकों के स्वास्थ्य डाटा पर आधारित थी।
सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के रिसर्चर्स को डाटा कोरियाई राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा सर्विस से मिला था।
नतीजों के बाद, परेशान युवाओं को दिल की बीमारियां रोकने के लिए नियमित स्वास्थ्य जांच की सलाह दी गई।
साथ ही, दिल को लंबे समय तक निरोगी रखने के लिए लाइफस्टाइल आदतों में बदलाव भी बताया गया।
ताज्जुब था कि स्टडी की शुरुआत में 20 से 39 वर्षीय कुल 6,557,727 नागरिकों को हार्ट अटैक या स्ट्रोक का कोई डर नहीं दिखा।
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लेकिन लगभग 856,927 इंसानों में चिंता, डिप्रेशन और अनिद्रा जैसा कम से कम एक मानसिक विकार ज़रूर था।
साढ़े सात वर्षों की निगरानी के दौरान, हार्ट अटैक (Myocardial infarction) के 16,133 और स्ट्रोक के 10,509 केस मिले।
किसी भी मानसिक विकार वाले युवा को हार्ट अटैक की 58% और स्ट्रोक पड़ने की 42% अधिक आशंका थी।
हालांकि, यह ख़तरा बिना मानसिक विकार वाले नागरिकों में देखने को नहीं मिला।
स्टडी में शामिल सभी तरह के मानसिक विकारों वालों को Myocardial infarction का ख़तरा तीन गुना तक पाया गया।
जबकि PTSD और ईटिंग डिसऑर्डर को छोड़कर अन्य सभी मानसिक समस्या वालों को स्ट्रोक का खतरा अधिक था।
डिप्रेशन, चिंता, स्किज़ोफ्रेनिया और पर्सनालिटी डिसऑर्डर पीड़ित 20 वर्ष वालों को 30 वालों की अपेक्षा हार्ट अटैक का अधिक डर था।
इसके अलावा, डिप्रेशन और अनिद्रा पुरुषों के मुक़ाबले महिलाओं में हार्ट अटैक और स्ट्रोक के अधिक जोखिम से जुड़े थे।
इस बारे में और जानकारी यूरोपियन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव कार्डियोलॉजी में प्रकाशित स्टडी से मिल सकती है।
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