वज़न घटाने और स्वास्थ्य सुधार के लिए अक्सर पुरुष तथा महिलाएं उपवास (Fasting) का सहारा लेते है।
लेकिन एक नई रिसर्च ने Time-restricted fasting से प्रजनन क्षमता (Fertility) में दिक़्क़त आने की संभावना जताई है।
Time-restricted fasting खाने का ऐसा पैटर्न है जिसमें दिन के कुछ घंटों तक ही भोजन किया जाता है।
इंग्लैंड की ईस्ट एंग्लिया यूनिवर्सिटी के नए शोध में मछलियों पर फास्टिंग का असर जाना गया था।
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नतीजों में Time-restricted fasting नर और मादा जेब्राफिश की प्रजनन क्षमता को अलग तरह से प्रभावित करती मिली।
विशेष रूप से उनके अंडे और शुक्राणु (Sperm) पर कुछ नकारात्मक प्रभाव पड़ता जाना गया।
विशेषज्ञों के मुताबिक़, फास्टिंग न केवल वजन और स्वास्थ्य बल्कि प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित कर सकती है।
रिसर्च में भोजन की कमी से मछलियों के अंडे और स्पर्म की गुणवत्ता में गिरावट महसूस की गई।
वैज्ञानिकों ने Time-restricted fasting बंद करने के बाद मछलियां को सामान्य रूप से भोजन देना शुरू किया।
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मादाओं के अंडे की गुणवत्ता में कमी देखी गई जिसका असर उनकी होने वाली संतानों के शरीर पर पड़ा।
यही नहीं, फास्टिंग करने से नर मछलियों के स्पर्म की गुणवत्ता में भी कमी पाई गई।
निष्कर्ष उपवास से न केवल अंडे और शुक्राणु की गुणवत्ता बल्कि उत्पादन में भी कमी बताते है।
यह कमी महत्वपूर्ण रूप से उपवास के बाद दोबारा भोजन शुरू करने से उत्पन्न जानी गई है।
क्योंकि यह रिसर्च मछलियों पर हुई है इसलिए इंसानों पर असर समझने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है।
वर्तमान रिसर्च जर्नल प्रोसीडिंग्स ऑफ द रॉयल सोसाइटी बी बायोलॉजिकल साइंसेज में प्रकाशित हुई थी।
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