एक अध्ययन के अनुसार कार्यस्थल (workplace) पर आपके काम में आई रुकावटों (interruptions) से शरीर में तनाव (stress) हो सकता है।
अगर इन रुकावटों का समाधान ने किया जाये तो इनसे उत्पन्न तनाव धीरे-धीरे बढ़ते हुए थकावट की स्थिति पैदा कर सकता है जिससे सार्वजनिक स्वास्थ्य के साथ-साथ आर्थिक लागत पर भी नकारात्मक असर पड़ता है।
यह अध्ययन साइकोन्यूरोएंडोक्रिनोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ था।
इस शोध के लिए तीन डॉक्टरेट छात्रों ने, जो सभी एक हालिया अध्ययन पर प्रमुख लेखक भी थे, ने 90 प्रतिभागियों को भर्ती करने के लिए एक विश्वविद्यालय के मंच का उपयोग किया, जो केवल दो घंटे के भीतर एक प्रयोग में भाग लेने के लिए सहमत हुए।
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अपने प्रयोग का संचालन करने के लिए इन छात्रों ने ईटीएच ज्यूरिख की डिसीजन साइंस लेबोरेटरी को तीन समूह में बाँट कर ऑफिस का वातावरण बनाया। प्रत्येक कार्य केंद्र में एक कुर्सी, मॉनिटर के साथ एक कंप्यूटर और किट थी जिसमें प्रतिभागियों की लार के नमूने एकत्र करने थे।
उन्हें एक काल्पनिक बीमा कंपनी में कर्मचारियों बनाते हुए उनसे कार्यालय के विशिष्ट कार्यों को करने के लिए कहा गया, जैसे कि हाथ से लिखे गए फॉर्म से जानकारी टाइप करना और ग्राहकों के साथ अपॉइंटमेंट अरेंज करना।
जब उन्होंने ऐसा किया, तो शोधकर्ताओं ने उनकी मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं और मूड का अवलोकन किया।
एक पोर्टेबल ईसीजी (ECG) डिवाइस ने लगातार उनके दिल की धड़कन को मापा। शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों की लार के नमूनों का उपयोग तनाव बढ़ने वाले हार्मोन कोर्टिसोल (cortisol) की तीव्रता को मापने के लिए किया।
बाद में अपने प्रयोग में, शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों को तीन समूहों में विभाजित किया। सभी समूहों को समान कार्यभार दिया गया और प्रत्येक समूह को कार्यों से जुड़ा अलग-अलग स्तर का तनाव दिया गया।
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नियंत्रण समूह में भाग लेने वालों के लिए, अभिनेताओं ने एक बिक्री को बढ़ने वाले संवाद का मंचन किया, जबकि दो तनाव समूहों में उन्होंने पदोनत्ति के लिए सबसे उपयुक्त उम्मीदवारों की तलाश करने का नाटक किया।
दो तनाव समूहों के बीच अंतर यह था कि पहले समूह के प्रतिभागियों ने केवल अपनी लार के नमूने देने के बाद काम करना बंद कर दिया। लेकिन दूसरे तनाव समूह में भाग लेने वालों को अपने वरिष्ठों से चैट मैसेज के रूप में अतिरिक्त रुकावटों से जूझना पड़ा, जो उनसे तुरंत जरूरी सुचना देने का लिए कहते है।
मूल्यांकन करने पर, प्रतिभागियों को एक काल्पनिक पदोन्नति के लिए प्रतिस्पर्धा करने के लिए कहने भर से ही उनके हार्ट रेट और और कोर्टिसोल बढ़ गया था।
दूसरे समूह के प्रतिभागियों के शरीर में पहले समूह के मुकाबले तनाव बढ़ाने वाला हार्मोन कोर्टिसोल ज्यादा पाया गया।