Robotic Bronchoscopy For Lung Cancer: दूषित हवा और तनावपूर्ण जीवनशैली के चलते इंसानों में फेफड़ों का कैंसर बढ़ा है।
ऐसे कैंसर का जल्द पता लगने पर अक्सर सफलतापूर्वक इलाज संभव है। हालाँकि, इसके शुरुआती चरणों के कोई लक्षण नहीं होते हैं।
ऐसे में फेफड़ों के कैंसर का जल्द पता लगाना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।
इस कैंसर का 20 से 40 साल तक प्रतिदिन एक या आधा पैकेट सिगरेट पीने वाले 50 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को अधिक खतरा होता है।
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उनमें कैंसर जांचने के लिए वार्षिक कंप्यूटेड टोमोग्राफी (Computed Tomography- CT) स्कैन की ज़रूरत पड़ती है।
यदि सीटी स्कैन रोगी के फेफड़ों में असामान्यता पाता है तो ब्रोंकोस्कोपी (Bronchoscopy) की जाती है।
इस प्रक्रिया के दौरान, संभावित मरीज़ के फेफड़ों से एक टिश्यू सैंपल लिया जाता है।
अब येल मेडिसिन चिकित्सकों ने इस जटिल प्रक्रिया को रोबोट की मदद से सरल पाया है।
‘रोबोटिक ब्रोंकोस्कोपी’ (Robotic bronchoscopy) तकनीक फेफड़ों के छोटे हिस्सों तक भी बेहतर तरीके से पहुंचाने में सहायक है।
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नई तकनीक में डॉक्टर रोबोटिक भुजा द्वारा ब्रोन्कोस्कोप की पतली, लचीली ट्यूब का उपयोग करते है।
रोबोटिक ब्रोंकोस्कोपी की फेफड़ों तक नियमित ब्रोंकोस्कोप के 20 से 30% की अपेक्षा 95% या उससे अधिक की पहुंच बताई गई है।
इससे फेफड़े के टिश्यू की बायोप्सी के लिए ट्यूब को सांस नली के तंग और कठिन क्षेत्रों तक ले जाया जा सकता है।
लेकिन किसी भी प्रकार की ब्रोंकोस्कोपी फेफड़े और एयरवेज के आसपास लिम्फ नोड्स से सैंपल लेने में सक्षम नहीं है।
यह कैंसर की जांच और फैलने को निर्धारित करने के लिए महत्वपूर्ण स्थान है।
इसके लिए डॉक्टर ब्रोंकोस्कोपी के तुरंत बाद एंडोब्रोनचियल अल्ट्रासाउंड (Endobronchial ultrasound -EBUS) करते है।
EBUS का दायरा ब्रोंकोस्कोप के समान है, सिवाय इसके कि इसकी नोक पर एक अल्ट्रासाउंड होता है।
इससे डॉक्टर लिम्फ नोड्स देखने और सैंपल लेने के लिए एक छोटी सुई का उपयोग कर सकते है।
रोबोटिक ब्रोंकोस्कोपी और EBUS से कम जोखिम वाले फेफड़ों के कैंसर का सही पता और स्टेजिंग की अधिक जानकारी मिलती है।
इस जानकारी से डॉक्टर किसी भी आवश्यक उपचार योजना को शीघ्रता से विकसित और कार्यान्वित कर सकते है।
इस बारे में और जानकारी येल मेडिसिन से मिल सकती है।
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