Uric acid and heart disease: एक नई स्टडी ने यूरिक एसिड बढ़ने से अनियमित दिल की धड़कन का जोख़िम बताया है।
स्वीडन की स्टडी में, 30 से 60 वर्ष वालों को यूरिक एसिड बढ़ने पर खून के थक्के, स्ट्रोक, हार्ट फेलियर और दिल की अन्य समस्याओं को जन्म देने वाली एट्रियल फाइब्रिलेशन (Atrial fibrillation -AFib) बीमारी का ख़तरा बताया गया है।
जर्नल ऑफ़ दी अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित स्टडी, स्वीडन के तीन लाख से अधिक नागरिकों की 26 वर्षों तक हुई स्वास्थ्य जांच पर आधारित है।
स्टडी में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ने से AFib का जोखिम बढ़ता हुआ मिला। उच्चतम यूरिक एसिड स्तर वालों में सबसे कम स्तर वालों की अपेक्षा AFib का जोखिम 45% अधिक था।
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बढ़े हुए यूरिक एसिड ने हाई बीपी, डायबिटीज, कोरोनरी हार्ट डिजीज या हार्ट फेलियर की समस्या न होने वाले इंसानों में भी AFib जोखिम को बढ़ा दिया था।
नतीजे मिलने के बाद स्टडी के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बढ़े हुए यूरिक एसिड वालों को नियमित कार्डियोवैस्कुलर टेस्ट करवाने की सलाह दी है।
बता दें कि खून में अगर यूरिक एसिड बढ़ जाए तो उससे गठिया, गुर्दे की पथरी, हाई बीपी, डायबिटीज और दिल के दौरे जैसी खतरनाक बीमारियां हो सकती है।
यूरिक एसिड तब बनता है जब शरीर प्यूरीन नामक केमिकल को तोड़ता है।
विशेषज्ञों की राय में यूरिक एसिड न केवल AFib के जोखिम को बढ़ाता है बल्कि शरीर में सूजन लाकर अन्य समस्याओं को भी पैदा करता है।
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विशेषज्ञ अब उस इलाज को खोजना चाहते है जिसमें यूरिक एसिड स्तर को कम करके AFib जोखिम घटाने में मदद मिल सकती हो।