Aerobic Exercise Benefits: हाल ही में सामने आई एक यूएस स्टडी ने दिमाग को आजीवन स्वस्थ रखने में एरोबिक एक्सरसाइज की भूमिका उजागर की है।
स्टडी की मानें तो बुज़ुर्ग रोज़ाना धकड़ने तेज करने वाली जॉगिंग या वॉकिंग एक्सरसाइज से दिमाग में खून का दौरा बेहतर रख सकते है।
गौरतलब है कि खून के दौरे में रुकावट अल्ज़ाइमर एवं संबंधित डिमेंशिया सहित अन्य समस्याओं का कारण बन सकती है।
जानकारी सार्वजनिक करने से पहले हेल्थ एक्सपर्ट्स ने एक वर्ष तक 60 से 80 वर्षीय बुजुर्गों के मस्तिष्क स्वास्थ्य का निरीक्षण किया था।
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जर्नल ऑफ एप्लाइड फिजियोलॉजी में प्रकाशित स्टडी में, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास साउथवेस्टर्न मेडिकल सेंटर और टेक्सास हेल्थ प्रेस्बिटेरियन हॉस्पिटल के एक्सपर्ट्स शामिल थे।
उन्होंने एरोबिक एक्सरसाइज करने वाले बुजुर्गों के मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं (blood vessels) और रक्त प्रवाह (blood flow) में उत्पन्न होने वाली बाधाओं को कम होते देखा।
देखा गया है कि उम्र बढ़ने पर युवाओं की अपेक्षा बुजुर्गों में मस्तिष्क की रक्तवाहिनियां और रक्त आपूर्ति अधिक कमज़ोर होती है।
मेडिकल भाषा में इस समस्या को सेरेब्रोवास्कुलर इम्पीडेंस (cerebrovascular impedance) कहते है, जो मस्तिष्क में ख़ून का बहाव रोकती है।
कम या बिना किसी एक्सरसाइज के वैसे भी स्वास्थ्य पर कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं, जिनमें मोटापा, हृदय रोग, डायबिटीज आदि प्रमुख है।
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लेकिन बुढ़ापे तक भी तेज चलने या जॉगिंग करने से मस्तिष्क में खून का दौरा सुचारु रूप से चलता रहता है।
नतीजन, कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं से छुटकारे सहित मानसिक कार्य कुशलता मजबूत बनी रहती है।
स्टडी में एक्सपर्ट्स ने 26 सप्ताह तक हफ्ते में चार से पांच दिन 25-30 मिनट की एरोबिक एक्सरसाइज से बुजुर्गों के दिमाग में ऑक्सीजन और खून का प्रवाह दुरुस्त पाया।
हालांकि, यह सकारात्मक असर केवल फिजिकल एक्टिविटी करने वाले बुज़ुर्गों में ही देखने को मिला था।
निष्कर्ष बताते है कि लंबे समय तक की जाने वाली एरोबिक एक्सरसाइज सेरेब्रोवास्कुलर इम्पीडेंस में उम्र से संबंधित वृद्धि को रोक या कम कर सकती है।
इसे देखते हुए एक्सपर्ट्स ने बुढ़ापे तक मस्तिष्क कार्यक्षमता बनाए रखने के लिए रोज़ाना की एरोबिक एक्सरसाइज को आवश्यक कहा है।
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