Male Infertility: इजरायल में हुई हालिया स्टडी ने दुनिया भर के पुरुषों पर मंडरा रहे एक नए ख़तरे की ओर इशारा किया है।
स्टडी के अनुसार, पूरी दुनिया के पुरुषों में शुक्राणुओं की संख्या (Sperm count) तेजी से घट रही है जिससे उनकी फर्टिलिटी (Fertility) क्षमता में गिरावट तय है।
यह चिंताजनक जानकारी 53 देशों की 223 स्टडीज़ में शामिल 57,000 से अधिक पुरुषों के स्वास्थ्य आंकड़ों से मिली है।
जांच पर आधारित सूचना को इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या पर अब तक का सबसे बड़ा विश्लेषण माना गया है।
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दरअसल नई स्टडी ने साल 2017 की उस रिसर्च को आगे बढ़ाया है जिसमें केवल उत्तरी अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के पुरुष ही शामिल थे।
अब नए देशों को जोड़ने के बाद पिछले 40 वर्षों में पुरुष शुक्राणुओं की संख्या आधी हो जाने का अनुमान है।
नई स्टडी की मानें तो वर्ष 1973 से 2018 के बीच पुरुषों के शुक्राणुओं में 51 प्रतिशत से अधिक की गिरावट हुई है।
यह संख्या 10 करोड़ 12 लाख शुक्राणुओं से घटकर सिर्फ 4.9 करोड़ शुक्राणु प्रति मिलीमीटर वीर्य जानी गई है।
हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने डेढ़ करोड़ से 20 करोड़ शुक्राणु प्रति मिलीलीटर को “सामान्य” माना है।
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ह्यूमन रिप्रोडक्शन अपडेट जर्नल में प्रकाशित नतीजों ने इस विश्वव्यापी गिरावट को 21वीं सदी में तेज गति से जारी बताया है।
नतीजों में पाया गया है कि शुक्राणुओं की संख्या प्रति वर्ष लगभग 1.1 प्रतिशत की दर से गिर रही है।
यह देखते हुए पुरुष प्रजनन स्वास्थ्य में और गिरावट रोकने के लिए अधिक कार्रवाई और रिसर्च की तत्काल आवश्यकता कही गई है।
गौरतलब है कि फर्टिलिटी को प्रभावित करने में स्पर्म काउंट के अलावा स्पर्म मूवमेंट भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
लेकिन स्टडी मे इस स्थिति पर नज़र नहीं डाली गई है।
कारणों में प्रदूषण, प्लास्टिक, स्मोकिंग, दवाओं सहित तनाव, मोटापा और खराब आहार की अधिकता का अंदेशा है।
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