Metabolic Syndrome Diet: एक नई स्टडी ने मोटापे और डायबिटीज की रोकथाम के लिए प्रोटीन (Protein) सेवन को नियंत्रित करने की सलाह दी है।
यह सलाह मनुष्यों में प्रोटीन और डाइटिंग से उत्पन्न हुए प्रभावों को जानने के बाद दी गई है।
ब्राजील, डेनमार्क और यूएस की यूनिवर्सिटियों के संयुक्त प्रयास से हुई स्टडी में प्रोटीन खाना कम करने से मेटाबॉलिक सिंड्रोम संबंधी समस्याओं की रोकथाम संभव बताई गई है।
बता दें कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम में बीपी, ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल और फैट बढ़ने से मोटापा, डायबिटीज, हृदय रोग और स्ट्रोक का ख़तरा होता है।
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जर्नल न्यूट्रिएंट्स में प्रकाशित स्टडी ने, मेटाबॉलिक सिंड्रोम में रोज़ाना वज़न के हर एक किलो के हिसाब से 0.8 ग्राम प्रोटीन खाना पर्याप्त कहा है।
इतना प्रोटीन खाने वालों ने बिना कैलोरी कम किए ही डाइटिंग करने वालों जितने स्वास्थ्य लाभ अर्जित किए थे।
स्टडी में मेटाबॉलिक सिंड्रोम वाले 21 पुरुष और महिला शामिल थे, जिन पर 27 दिनों तक नजर रखी गई।
परिणामों से पता चला कि शरीर का हानिकारक फैट घटने से डाइटिंग और प्रोटीन सीमित करने वाले दोनों समूहों का वज़न कम हुआ और मेटाबॉलिक सिंड्रोम लक्षणों में सुधार हुआ।
गौरतलब है कि शरीर के फैट में कमी से इंसुलिन बेहतर हो जाता है जिससे हाई बीपी, ब्लड शुगर, और कोलेस्ट्रॉल कम किया जा सकता है।
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सबसे ज़्यादा हैरानी की बात थी कि तय प्रोटीन खाने के बाद उनकी मांसपेशियों को किसी तरह की हानि नहीं हुई।
अक्सर देखा जाता है कि वज़न घटाने से मांसपेशियों को नुकसान होता है और उनका आकार घटने लगता है।
स्टडी के विशेषज्ञों के अनुसार, तय मात्रा में प्रोटीन लेने से हमारे मेटाबॉलिज़्म में बदलाव आता है।
नतीजन, कोशिकाएं ऊर्जा के लिए शरीर में जमा फैट के भंडार का इस्तेमाल करने लगती है।
स्टडी में मेटाबॉलिक सिंड्रोम के मामलों के लिए पशु उत्पादों की अपेक्षा शाकाहार को लाभदायक पाया गया है।
यह भी पाया गया है कि पश्चिमी आहार में शामिल प्रोटीन का अत्यधिक सेवन मोटापे, हाई बीपी, डायबिटीज और दिल की बीमारियां कर सकता है।
हालांकि, प्रोटीन की कमी से बचने के लिए तय सीमा के प्रोटीन का सेवन जरूरी है अन्यथा गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है।
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