बढ़ते मानसिक विकारों (Mental disorders) से इंसानों को छुटकारा दिलाने हेतु दुनिया भर के वैज्ञानिक लगातार प्रयासरत है।
इसी कड़ी में यूएस की टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s disease) का इलाज ढूढ़ने की उम्मीद जताई है।
उन्होंने पाया है कि कैटेचिन (Catechins) और रेसवेराट्रॉल (Resveratrol) जैसे दो प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट का उपयोग अल्जाइमर रोकथाम में किया जा सकता है।
गौरतलब है कि अभी तक अल्जाइमर का कोई इलाज नहीं है ना ही इसके प्रसार को रोकने का कोई तरीका है।
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अल्जाइमर, जिसे ‘भूलने का रोग’ भी कहते है, से याददाश्त में कमी, निर्णय न ले पाना, बोलने में दिक्कत तथा अन्य गंभीर समस्याएं होती है।
प्रयोगशाला में जांच के दौरान इन एंटीऑक्सीडेंट से अल्जाइमर मरीज़ों के दिमाग में बनने वाले चिपचिपे बीटा अमाइलॉइड के विकास को कम करने की संभावना है।
दोनों औषधीय गुणों से भरपूर तत्वों को मरीज़ों के लिए हानिरहित और कुछ हद तक प्रभावकारी पाया गया है।
इनके अलावा, हल्दी के करक्यूमिन सहित डायबिटीज की दवा मेटफॉर्मिन और साइटिकोलिन भी अल्जाइमर रोगजनक प्लाक को रोकने में प्रभावी मिले है।
बता दें कि ग्रीन टी का कैटेचिन और रेड वाइन तथा अंगूरों में मौजूद रेस्वेराट्रोल क्रमश: कैंसर रोकथाम और एंटी-एजिंग में भी असरदार पाए गए है।
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हालाँकि, दोनों ही अल्जाइमर उपचार में कितने उपयोगी होंगे, अभी इस बारे में और परीक्षणों की आवश्यकता कही गई है।
विशेषज्ञों की कोशिश है कि दोनों प्राकृतिक तत्वों को सप्लीमेंट या भोजन द्वारा सुरक्षित और खून में आसानी से घुलने लायक बनाया जा सके।
इस बारे में शोधकर्ताओं ने फ्री रेडिकल बायोलॉजी एंड मेडिसिन जर्नल में एक रिपोर्ट भी प्रकाशित की है।
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