नाक में उंगली डालना (Nose picking) बच्चों से लेकर बड़ों तक में देखी जाने वाली एक आम आदत है।
लेकिन ये आदत दिमाग के लिए ख़तरा पैदा कर सकती है, ऐसी चेतावनी दी है ग्रिफ़िथ यूनिवर्सिटी के खोजकर्ताओं ने।
उनकी नई स्टडी से पता चलता है कि नाक में उंगली डालने से अल्जाइमर और डिमेंशिया (Alzheimer’s and Dementia) का खतरा बढ़ सकता है।
इससे दिमाग सिकुड़ जाता है, याददाश्त खोने लगती है और अन्य महत्वपूर्ण मानसिक कार्यों में असमर्थता बढ़ती है।
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यूनिवर्सिटी के खोजकर्ताओं ने इन दिक्कतों के पीछे एक बैक्टीरिया से उत्पन्न संक्रमण बताया है।
चूहों पर की गई रिसर्च में उन्होंने देखा कि यह बैक्टीरिया नाक की कोशिकाओं के माध्यम से दिमाग में जा सकता है।
वहां यह दिमाग को नकारात्मक रुप से प्रभावित कर अल्जाइमर रोग के लक्षणों का विकास करता है।
जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित स्टडी में इस बैक्टीरिया को क्लैमाइडिया न्यूमोनिया (Chlamydia pneumoniae) बताया गया है।
नाक द्वारा दिमाग में घुसने पर यह बैक्टीरिया कोशिकाओं में गड़बड़ी करके अल्जाइमर रोग के सूचक एमिलॉयड बीटा प्रोटीन के जमाव को प्रेरित करता है।
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खोजकर्ताओं ने चूहों की तरह इंसानों में भी इस बैक्टीरिया के दुष्प्रभाव से समान विकृतियां पैदा होने की शंका जताई है।
उनके अनुसार, हाथों या वातावरण में मौजूद वायरस और बैक्टीरिया नाक द्वारा सांस लेने पर मस्तिष्क में आसानी से जा सकते है।
रोकथाम के लिए इंसानों को नाक में उंगली डालने और नाक के बाल तोड़ने से बचना चाहिए। इन आदतों से नाक के अंदरूनी हिस्से को नुकसान होता है।
स्थिति गंभीर होने पर गंध सूंघने में भी कठिनाई हो सकती है, जो अल्जाइमर रोग का प्रारंभिक संकेत माना गया है।
अपने शक को पक्का करने के लिए उन्होंने चूहों के बाद इंसानों में भी ऐसी ही रिसर्च करने की बात कही है।