Physical Movement During Sleep: कच्ची नींद, अत्यधिक करवटें बदलना और खर्राटे मारना आपके दिल के लिए घातक साबित हो सकता है, ऐसा एक नई स्टडी का कहना है।
जर्नल ऑफ़ अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित स्टडी ने ऐसा लेफ़्ट वेंट्रिकुलर डायस्टोलिक डिसफंक्शन (Left Ventricular Diastolic Dysfunction) के कारण बताया है, जिससे हार्ट फेलियर का ख़तरा पैदा होता है।
यह समस्या तब विकसित होती है जब वेंट्रिकल्स कड़े हो जाते है और सही से आराम नहीं कर पाते।
पहले हुए शोधों से पता चला था कि स्लीप एपनिया (Sleep Apnea) सहित नींद की समस्याएं हार्ट फेलियर का ख़तरा तेज करती है। लेकिन इस स्टडी ने वेंट्रिकुलर डायस्टोलिक डिसफंक्शन के साथ उनके संबंध की जांच की थी।
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स्टडी करने वाले विशेषज्ञों ने लगभग तीन साल की अवधि में 59 वर्षीय 452 वयस्कों की नींद और हृदय स्वास्थ्य डेटा का विश्लेषण किया था।
उन्होंने स्लीप एपनिया, नींद की अवधि और बेचैन नींद की सूचक समझी जाने वाली करवटें बदलना या सोते समय हिलने की जांच की।
मध्यम से गंभीर स्लीप एपनिया वाले, या रात में सोते समय बहुत ज़्यादा हिलने-ढुलने वालों में लेफ़्ट वेंट्रिकुलर डायस्टोलिक डिसफंक्शन विकसित होने की अधिक संभावना थी।
लेकिन कम सोने वालों में ऐसा कोई ख़तरा बढ़ते हुए नहीं दिखा।
बिना स्लीप एपनिया वाले लगभग 11% लोगों की तुलना में मध्यम से गंभीर स्लीप एपनिया वालों में से लगभग 28% को भविष्य में डायस्टोलिक डिसफंक्शन की बीमारी हुई।
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कम करवटें बदलने वाले 8% लोगों की तुलना में सोते समय अधिक बैचेन रहने वालों में से 21% में भी यह समस्या विकसित हुई।
नतीजों ने रेस्टलेस लेग सिंड्रोम और गहरी नींद की कमी के कारण सोते समय अत्यधिक हिलने या करवटें बदलने की समस्या संभव बताई।
इससे बचने के लिए विशेषज्ञों ने नींद में सुधार करना ज़रूरी बताया। उपायों में कम तनाव, एक्सरसाइज करना, अंधेरे में सोना और स्मार्टफोन की नीली रोशनी से बचाव शामिल थे।
इसके अलावा, बड़ों की बेहतर कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ के लिए रात में सात से नौ घंटे तक सोना अच्छा बताया गया।
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