हृदय रोग, कैंसर और डायबिटीज जैसी गैर-संक्रामक बीमारियां (Non-Communicable Diseases) वैश्विक स्तर पर 74 प्रतिशत मौतों के लिए जिम्मेदार हैं।
हालांकि, इनसे संबंधित कारणों पर नकेल कसने से लाखों लोगों की जान बचाई जा सकती है, ये संभावना जताई है संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट ने।
बुधवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक प्रेस वार्ता में इस रिपोर्ट के हवाले से बढ़ती NCD (Non-Communicable Diseases) की समस्या पर चिंता ज़ाहिर की गई।
हालांकि, इनविज़िबल नंबर्स (Invisible numbers) नामक इस रिपोर्ट में NCD के बढ़ते दुष्चक्र को रोकना संभव भी बताया गया है।
- Advertisement -
जारी आंकड़ों ने एक अस्वास्थ्यकर जीवनशैली के कारण होने वाली इन बीमारियों से हर साल चार करोड़ 10 लाख लोगों के मरने की जानकारी दी, जिसमें 70 साल से कम उम्र के 1.7 करोड़ लोग शामिल है।
स्टडी के मुताबिक़, हृदय रोग, कैंसर, डायबिटीज और सांस के रोग कोरोना एवं अन्य संक्रामक रोगों से भी ज़्यादा ख़तरनाक हो गए हैं।
इसका अंदाज़ा हर दो सेकेंड में 70 साल से कम उम्र के किसी व्यक्ति की एनसीडी से हुई मौत के दावे से ही लगाया जा सकता है।
यहां तक कि मोटापे या डायबिटीज से ग्रस्त इंसानों के कोरोना संक्रमित होने पर गंभीर रूप से बीमार और वायरस से मरने का खतरा भी अधिक देखा गया।
स्टडी एक्सपर्ट्स ने दुनिया भर में असमय होने वाली एनसीडी मौतों में से 86 प्रतिशत निम्न और निम्न मध्यम आय वाले देशों में बताई है, क्योंकि गरीब देशों के पास उनकी रोकथाम, उपचार और देखभाल तक पहुंच नहीं है।
- Advertisement -
भले ही NCD के लिए ज़िम्मेदार मुख्य जोखिम कारक ज्ञात है, लेकिन उन्हें बेहतर तरीक़े से नियंत्रित करने वाले उपायों को लागू करने में ढिलाई है।
तंबाकू सेवन, ख़राब भोजन, शराब का हानिकारक उपयोग, शारीरिक निष्क्रियता और वायु प्रदूषण एनसीडी की बढ़ती संख्या के मुख्य कारण घोषित किए गए है।
रिपोर्ट में अकेले तंबाकू का सेवन ही हर साल 80 लाख से अधिक मौतों के लिए जिम्मेदार बताया गया है। अन्य 80 लाख मौतें ख़राब गुणवत्ता वाले खान-पान के कारण जानी गई है।
हानिकारक शराब को सालाना लगभग 17 लाख, जबकि शारीरिक निष्क्रियता को अनुमानित 830,000 मौतों का जिम्मेदार पाया गया है।
डब्ल्यूएचओ ने आशा जताई कि अगर सभी देशों ने NCD से बचाने वाले उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया तो अगले सात वर्षों में 3 करोड़ 90 लाख लोगों की जान बचाई जा सकती है।
Also Read: ये 7 जरूरी नियम अपनाकर रखें स्वयं को हृदय रोग मुक्त