Vitamin B12 and Folic acid benefits: फैटी लिवर डिजीज (Fatty liver disease) के एक एडवांस रूप को ठीक करने में विटामिन बी12 और फोलिक एसिड सहायक सिद्ध हो सकते है, ये संभावना जताई है एक रिसर्च ने।
सिंगापुर में ड्यूक-एनयूएस मेडिकल स्कूल के वैज्ञानिकों ने लिवर में होने वाली गड़बड़ी से नॉन-एल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (Non-alcoholic steatohepatitis – NASH).होने की जानकारी दी है।
हालांकि, विटामिन बी12 और फोलिक एसिड सप्लीमेंट्स लेने से इस गड़बड़ी के ठीक होने की भी संभावना देखी गई है।
दरअसल, स्टीटोहेपेटाइटिस नॉन-एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (Non-alcoholic fatty liver disease) का ही एक हिस्सा है, जिससे विश्व स्तर पर 25 प्रतिशत स्त्री-पुरुष प्रभावित है।
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यह रोग लिवर में फैट बनने से होता है। डायबिटीज और मोटापे के कारण इसके मरीज़ों की संख्या दिनोंदिन बढ़ती जा रही है।
लिवर में दर्द-सूजन और अन्य जटिलता बढ़ने से नॉन-एल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस बनने लगता है, जो सिरोसिस और लिवर कैंसर का प्रमुख कारण माना गया है।
वर्तमान में इस रोग से बचाव का कोई औषधीय उपचार नहीं हैं, क्योंकि वैज्ञानिक इसके होने की प्रक्रिया को ही पूर्णतया समझ नहीं पाए है।
इसी प्रयास के तहत वैज्ञानिकों की एक टीम ने पता लगाया है कि ख़ून में होमोसिस्टीन नामक एमिनो एसिड की अधिकता से सिंटेक्सिन 17 (syntaxin 17) नामक प्रोटीन का कार्य बाधित होता है।
नतीजन, लिवर पर चढ़ा फैट और सूजन कम नहीं होती। इससे फैटी लिवर डिजीज बढ़कर स्टीटोहेपेटाइटिस में विकसित होने लगता है।
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इस स्थिति से बचाव में Syntaxin 17 का लेवल बढ़ाना लाभकारी पाया गया है, जो विटामिन बी12 और फोलिक एसिड सप्लीमेंट लेने से संभव हो सकता है।
इससे स्टीटोहेपेटाइटिस की प्रगति धीमी होने पर लीवर की सूजन और फाइब्रोसिस को रोकने की उम्मीद जगी है।
जर्नल ऑफ हेपेटोलॉजी में प्रकाशित इस रिसर्च में, होमोसिस्टीन एमिनो एसिड का अन्य लिवर प्रोटीनों पर असर जानकार स्टीटोहेपेटाइटिस रोधी उपचारों का विकास संभव बताया गया है।