यूके की एक हालिया स्टडी ने COVID-19 संक्रमितों में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (Cardiovascular diseases) और डायबिटीज (Diabetes) होने का खतरा अधिक बताया है।
यह ख़तरा विशेष रूप से कोरोना इंफेक्शन के बाद तीन महीनों में ही विकसित होने लगता है।
जानकारी के लिए किंग्स कॉलेज लंदन के विशेषज्ञों ने चार लाख 28 हजार से अधिक COVID-19 रोगियों के मेडिकल रिकॉर्ड का विश्लेषण किया था।
पीएलओएस मेडिसिन में प्रकाशित स्टडी में कहा गया कि वायरस की पकड़ में आने के बाद पहले चार हफ्तों तक कोरोना रोगियों में डायबिटीज के 81% अधिक मामले मिले। इस बीमारी का ख़तरा इंफेक्शन के बाद 12 सप्ताह तक 27% बढ़ा रहा।
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ये नतीजे उन लोगों के साथ तुलना करने के बाद घोषित किए गए, जिन्हें कोरोना इंफेक्शन के बाद एक साल तक ऐसी कोई बीमारी नहीं हुई थी।
यही नहीं, COVID-19 से दिल की बीमारियों में छह गुना वृद्धि भी देखी गई। ऐसा मुख्य रूप से फेफड़ों में ख़ून के थक्के (blood clots) बनने और अनियमित धड़कनों के कारण पाया गया।
हालांकि, सौभाग्य से संक्रमितों में दिल की कोई नई बीमारी होने का ख़तरा इंफेक्शन के पांच सप्ताह बाद घटना शुरू हो गया। यह ख़तरा 12 सप्ताह से एक वर्ष के भीतर बहुत कम भी हो गया।
नतीजे इस बात की पुष्टि करते है कि COVID-19 इंफेक्शन कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और डायबिटीज के ख़तरे से जुड़ा हुआ ज़रूर है, लेकिन संक्रमितों को इन बीमारियों की आशंका लंबे समय तक नहीं रहती।
वैज्ञानिकों के अनुसार, COVID-19 पूरे शरीर में जलन, सूजन या दर्द उठाकर कई बीमारियां पैदा कर सकता है।
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इसलिए, सभी डॉक्टर अपने कोरोना पेशेंट्स को बिना घबराए स्वस्थ डाइट और एक्सरसाइज के माध्यम से सकुशल रहने की सलाह दे सकते है।
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