Covid-19 महामारी के बाद (post-pandemic) शाकाहार को अधिक बढ़ावा देने से वर्ष 2060 तक हर साल 2 करोड़ 60 लाख लोगों की मौत टाली जा सकती है।
ऐसा यूके की एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों का अनुमान है जिनकी हालिया रिपोर्ट द लांसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित हुई है।
उनके मुताबिक़, हृदय रोग, स्ट्रोक और कैंसर जैसी तेजी से बढ़ती बीमारियों के कारण असमय होने वाली मौतों को कम किया जा सकता है। इसके लिए, विश्व जनसंख्या में मांस की खपत घटाने और फल-सब्जियां अधिक खाने को प्रोत्साहन देना ज़रूरी है।
ग़ौरतलब है कि उपरोक्त बीमारियों से COVID-19 रोगियों को भी ख़तरा है।
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अनुमान के अनुसार, मांस की खपत घटते ही फलों, सब्जियों और अनाज की कीमतों में कमी आ जाएगी। इससे गरीब और विकासशील देशों के साथ-साथ धरती के पर्यावरण को भी फायदा होगा।
निष्कर्ष बताते है कि सभी देशों ने महामारी के बाद जीडीपी विकास योजनाओं में आर्थिक सुधार को अधिक प्राथमिकता दी है। इससे भोजन कीमतों पर असर पड़ेगा, खराब आहार से जुड़ी मौतें बढ़ेंगी तथा पर्यावरण स्थिति और भी बदतर हो जाएगी।
बता दें कि दुनिया भर की सरकारों ने COVID-19 महामारी के अभूतपूर्व प्रभावों से उबरने के लिए खरबों पाउंड खर्च करने की योजनाएं बनाई है।
इसे ध्यान में रखते हुए, यूके के विशेषज्ञों ने वैश्विक स्वास्थ्य, पर्यावरण और भोजन की लागत पर विभिन्न रिकवरी योजनाओं के दीर्घकालिक प्रभावों का पहला विश्लेषण किया है।
नतीजों से ग्लोबल हेल्थ और फ़ूड कीमतों में सुधार सहित जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को सीमित करने में मदद मिल सकती है।
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अनुमान लगाने के लिए टीम ने एक उन्नत कंप्यूटर मॉडल की मदद से साल 2019 और 2060 के बीच विभिन्न महामारी रिकवरी योजनाओं के प्रभावों का आकलन किया।
नतीजों से पता चला कि कम मांस और अधिक फलों-सब्जियों के सेवन को प्रोत्साहित करने से साल 2060 तक प्रति दस लाख लोगों पर 2600 की अकाल मृत्यु रुक सकती है।
टीम ने अनुमान लगाया कि साल 2060 तक दुनिया की आबादी 10 अरब से अधिक होगी तो संभावित रूप से उस वर्ष 2 करोड़ 60 लाख मौतों को टालना संभव होगा।
कम मांस वाले आहार को अपनाने से विशेष रूप से गरीब देशों में भोजन अधिक सस्ता मिलेगा।
इसके अलावा, मांस खाने में कटौती से कृषि भूमि के उपयोग, सिंचाई और फ़र्टिलाइज़र की आवश्यकता भी कम हो जाएगी। इससे पानी और ज़मीन का कम नुकसान होगा।
इसके विपरीत, आर्थिक गतिविधियों को महामारी पूर्व स्तर तक लाने पर ही पूरा ध्यान केंद्रित करने से जनसंख्या बढ़ोतरी के अनुमान को देखते हुए अकेले साल 2060 में ही लगभग 80 लाख मौतों की संभावना है।
आर्थिक विकास तेज करने वाली सभी देशों की वर्तमान रणनीतियों से भूमि, सिंचाई और फ़र्टिलाइज़र के उपयोग में वृद्धि होगी और जनसंख्या को भोजन मिलना महंगा होगा।