थायराइड (Thyroid) की समस्या वाले लोगों की दिमागी क्षमता कम हो सकती है, ऐसा एक स्टडी से पता चला है।
न्यूरोलॉजी में प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार, हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) यानी अंडरएक्टिव थायराइड वाले वृद्धों में डिमेंशिया (Dementia) विकसित होने का ख़तरा रहता है।
ग़ौरतलब रहा कि थायराइड हार्मोन रिप्लेसमेंट दवा की आवश्यकता वालों में डिमेंशिया होने की संभावना और भी अधिक देखी गई।
बता दें कि हाइपोथायरायडिज्म तब होता है जब थायरॉयड ग्रंथि पर्याप्त थायराइड हार्मोन नहीं बनाती है। इसे हमारा मेटाबॉलिज़्म धीमा हो जाता है। थकान, वजन बढ़ना और ठंड ज़्यादा महसूस होने लगती है।
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इसके विपरीत, हाइपरथायरायडिज्म में थायरॉयड हार्मोन अधिक बनने से मेटाबॉलिज़्म बढ़ जाता है। लक्षणों में अनपेक्षित वजन घटना, अनियमित दिल की धड़कन और घबराहट या चिंता शामिल है।
दूसरी ओर, डिमेंशिया जैसे दिमागी विकार से पीड़ित की याददाशत कमज़ोर हो जाती है और वह अपने दैनिक कार्य भी ठीक से नहीं कर पाता है।
जानकारी के लिए स्टडी करने वालों ने ताइवान के डिमेंशिया पीड़ित 7,843 लोगों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड देखे और उनकी तुलना बिना डिमेंशिया वालों से की।
सभी इंसानों की औसत आयु 75 वर्ष थी। उनमें से कुल 102 लोगों को हाइपोथायरायडिज्म और 133 को हाइपरथायरायडिज्म था। लेकिन विशेषज्ञों को हाइपरथायरायडिज्म और डिमेंशिया के बीच कोई संबंध नहीं मिला।
डिमेंशिया के पीड़ितों में से 68 लोगों को हाइपोथायरायडिज्म था, जबकि 34 को नहीं था।
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डिमेंशिया से जुड़े अन्य कारकों की जांच के बाद पाया गया कि 65 वर्ष पार के हाइपोथायरायडिज्म वालों में, बिना थायरॉयड के हम उम्र लोगों की अपेक्षा, डिमेंशिया होने की संभावना 80% अधिक थी।
हैरानी की बात थी कि 65 वर्ष से कम उम्र के लोगों में हाइपोथायरायडिज्म होने से डिमेंशिया का जोखिम नहीं था।
और तो और, हाइपोथायरायडिज्म की दवा नहीं लेने वालों की अपेक्षा दवा लेने वालों में डिमेंशिया विकसित होने की संभावना तीन गुना अधिक थी!
हालांकि, स्टडी के विशेषज्ञ कई कारणों का स्पष्टीकरण नहीं दे सकें।
उनका कहना था कि रिकॉर्ड देखने भर से यह साबित नहीं होता कि हाइपोथायरायडिज्म डिमेंशिया का कारण है; यह केवल एक संबंध दिखाता है।