दूषित हवा के अलावा अब मिट्टी भी मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है, ऐसा एक नई रिपोर्ट में ख़ुलासा हुआ है।
रिपोर्ट की मानें तो मिट्टी में मौजूद कीटनाशकों और हैवी मेटल्स का कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम पर हानिकारक प्रभाव पड़ सकता है।
यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के एक जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, गंदी हवा की अपेक्षा मिट्टी प्रदूषकों से मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव कम ज्ञात है।
हालांकि, इससे शरीर की प्राकृतिक घड़ी में बाधा और सूजन आने सहित कई तरीकों से हृदय स्वास्थ्य ख़राब हो सकता है।
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जर्मन और अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में, हवा, पानी और मिट्टी प्रदूषण से हर साल कम से कम 90 लाख मौतें होने की संभावना जताई गई है।
60% से अधिक प्रदूषण संबंधित रोग और मौतें हृदय रोग, दिल का दौरा, स्ट्रोक और धड़कनों की गति बिगड़ने से होती है।
रिपोर्ट में, मिट्टी प्रदूषण और मानव स्वास्थ्य के बीच संबंध बताते हुए कार्डियोवैस्कुलर डिजीज पर विशेष ध्यान दिया गया है।
मिट्टी प्रदूषकों में हैवी मेटल्स, कीटनाशक और प्लास्टिक शामिल है। दूषित मिट्टी रक्त वाहिकाओं (blood vessels) में ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा कर दर्द, जलन और सूजन लाती है। इससे शरीर की घड़ी ((circadian rhythm) बाधित होती है, जिससे दिल की बीमारियां हो सकती है।
गंदी मिट्टी शरीर में धूल, फ़र्टिलाइज़र क्रिस्टल या प्लास्टिक कणों को लेकर प्रवेश कर सकती है।
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कीटनाशकों के कैडमियम, सीसा जैसे हैवी मेटल्स, प्लास्टिक और आर्गेनिक ज़हरीले पदार्थ भी मुंह में जा सकते है। मिट्टी प्रदूषक नदियों में घुल जाते है और पानी दूषित करते है, जिसके सेवन से हृदय रोग का जोख़िम बढ़ता है।
स्टडी से पता चला है कि दूषित कण ख़ून में मिलकर शरीर के अंगों तक पहुंच जाते है और कार्डियोमेटाबोलिक बीमारी का कारण बनते है।
इसलिए, वैज्ञानिकों ने मास्क पहन कर धूल से सुरक्षित रहने, दूषित पदार्थों से बचने के लिए फ़िल्टर पानी पीने और स्वस्थ मिट्टी में उगाए गए फलों-सब्जियों को खरीदने की सलाह दी है।
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