किसी व्यक्ति के पेशाब से अब गुर्दे की गंभीर बीमारी (Chronic kidney disease) का जल्द पता लगाना आसान होगा।
इसके लिए दक्षिण ऑस्ट्रेलिया की एक मेडिकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने नए पोर्टेबल डिवाइस का निर्माण किया है।
यह डिवाइस पेशाब के फ्लोरोसेंस (Fluorescence) टेस्ट का विश्लेषण करके क्रोनिक किडनी डिजीज सटीक रूप से बताता है।
बता दें कि ऑप्टिकल आधारित माप में फ्लोरोसेंस मॉनिटरिंग (Fluorescence monitoring) एक शक्तिशाली तकनीक है। इसका उपयोग किसी पदार्थ में एक या कई रसायनों का पता लगाने और मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।
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नया डिवाइस इस तकनीक द्वारा रोगियों के मूत्र में एल्ब्यूमिन के स्तर को सटीक रूप से मापता है और बीमारी की चेतावनी देता है।
यह किफायती और पोर्टेबल बायोसेंसर डिवाइस फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा बनाया गया है।
एक अनुमान के मुताबिक क्रोनिक किडनी डिजीज से दुनिया की अनुमानित 7% आबादी प्रभावित है।
ऐसे में डिवाइस के विशेषकर सीमित चिकित्सा सेवाओं वाले ग्रामीण और दूरस्थ रोगियों के लिए उपयोगी होने की संभावना जताई गई है।
सेंसिंग एंड बायो-सेंसिंग रिसर्च (एल्सेवियर) जर्नल के अनुसार, एक एडवांस्ड ओपन एक्सेस सिस्टम का उपयोग करते हुए यह डिवाइस एक बायोसेंसर सिस्टम द्वारा रोगी के मूत्र में मिले संकेतों को मापता है।
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इससे कैंसर, एमिलॉयड प्लाक बिल्डअप और अन्य बीमारियों के संकेतों को भी जाना जा सकता है।
इसमें एक डिजिटल कैमरा, कंप्यूटर, सिंगल लाइट सोर्स और सॉफ्टवेयर तक पहुंचने की क्षमता है। क्लीनिकल सेटिंग या विशेष लैब के बिना भी इसे केवल एक तकनीशियन की मदद से संचालित किया जा सकता है।
यह डिवाइस मूत्र के नमूने में एल्ब्यूमिन (Albumin) के स्तर की भिन्नता को 25 मिलीग्राम/लीटर तक बता सकता है।
इस कारण, यह गुर्दे की बीमारी के लिए एल्बुमिनुरिया स्तर का पता लगाने और निगरानी करने में असरदार बताया गया है।