समान शारीरिक गंध वाले लोग एक-दूसरे के दोस्त जल्दी बन जाते है, ऐसा एक हालिया रिसर्च का दावा है।
इज़राइल के वीज़मैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के शोधकर्ताओं के मुताबिक़, इंसानों में भी कुत्तों की तरह एक-दूसरे की गंध सूंघने की क्षमता होती है। इस क्षमता की बदौलत अजनबियों में ऐसे लोगों से दोस्ती करने की प्रवृत्ति हो सकती है जिनके शरीर की गंध समान हो।
इस धारणा की सत्यता परखने के लिए वैज्ञानिकों ने एक इलेक्ट्रॉनिक नाक (eNose) का उपयोग किया। शरीर की गंध रसायन पर निर्भर यह ईनोज (eNose) दो अजनबियों के सामाजिक संबंधों की भविष्यवाणी करने में सक्षम बताई गई है।
साइंस एडवांस में प्रकाशित इस स्टडी के निष्कर्ष बताते हैं कि गंध की भावना मानव सामाजिक संबंधों में बड़ी भूमिका निभा सकती है।
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वैज्ञानिकों के अनुसार, कुत्ते आमतौर पर एक-दूसरे को सूंघ कर दोस्त या दुश्मन होने का पता लगा लेते है। सामाजिक संबंधों में गंध द्वारा निभाई गई इस प्रमुख भूमिका को मनुष्यों के अलावा सभी स्थलीय स्तनधारियों में व्यापक रूप से देखा गया है।
हालांकि, अनजाने में इंसान भी जब खुद को और दूसरों को सूँघते हैं तो वे उन लोगों की ओर आकर्षित हो सकते है जिनकी गंध उनके समान हो।
इस परिकल्पना का परीक्षण करने के लिए वैज्ञानिकों ने ऐसे दोस्तों की भर्ती की जिनकी दोस्ती अपरिचित होते हुए भी बहुत जल्दी हुई थी। उन्होंने अनुमान लगाया कि क्योंकि इस तरह की दोस्ती एक गहन परिचित होने से पहले हुई होगी, वे ज़रूर शरीर की गंध से प्रभावित हुए होंगे।
उन्होंने दो एक्सपेरीमेंट करने के लिए इन घनिष्ठ दोस्तों की शारीरिक गंध के नमूने एकत्र किए। साथ ही, इन नमूनों की तुलना के लिए अन्य व्यक्तियों की गंध के सैंपल भी लिए गए।
दोनों एक्सपेरीमेंट में eNose का उपयोग करके तुलना की गई। पता चला कि शरीर की गंध में समानता लोगों में पक्की दोस्ती की एक बड़ी वज़ह थी।
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विश्लेषण से यह भी पता चला कि जिन अंजान व्यक्तियों में अधिक सकारात्मक बातचीत हुई थी, उनकी गंध वास्तव में एक-दूसरे की तरह ही थी।
अध्ययन के नतीजे बताते है कि हमारे सामाजिक ताने-बाने और दोस्तों की पसंद में नाक एक बड़ी भूमिका निभाती है।
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