Natural COVID-19 antibodies in children: एक नए अध्ययन के अनुसार, COVID-19 से संक्रमित होकर ठीक हुए बच्चों में प्राकृतिक एंटीबॉडी विकसित होती है, जो कम से कम सात महीने तक बनी रहती है।
अध्ययन करने वाले ह्यूस्टन की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास हेल्थ साइंस सेंटर के वैज्ञानिकों ने टेक्सास राज्य में 5 से 19 वर्ष की आयु के 218 बच्चों की जांच के बाद यह जानकारी दी है।
अक्टूबर 2020 में शुरू हुए इस अध्ययन का उद्देश्य टेक्सास के वयस्कों और बच्चों में समय के साथ COVID-19 एंटीबॉडी स्थिति का आकलन करना था।
वैज्ञानिकों ने अध्ययन में शामिल इंसानों के तीन अलग-अलग ब्लड सैंपल से उनके शरीर में एंटीबॉडी की स्थिति का पता लगाया।
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ये सैंपल वैक्सीन लगने से पहले तथा डेल्टा एवं ओमिक्रोन वेरिएंट की लहर के दौरान लिए गए थे।
हैरानी की बात थी कि अध्ययन करने वाली वैज्ञानिक टीम ने COVID-19 से संक्रमित बच्चों में एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया को एक समान पाया।
कोरोनावायरस के ख़िलाफ़ प्राकृतिक एंटीबॉडी विकसित होने में हल्के, मध्यम या गंभीर लक्षणों के अलावा उनके वजन, मोटापे या लिंग का कोई प्रभाव नहीं पड़ा। सभी में एंटीबॉडी का स्तर एक जैसा ही पाया गया।
कोरोना से संक्रमित 96% मनुष्यों में प्राकृतिक एंटीबाडी सात महीने बाद तक बनी रही, लेकिन 58% में यह तीसरे और अंतिम चरण तक आते-आते लुप्त हो गई।
यूँ तो अध्ययन के निष्कर्षों में वैक्सीन से मिली सुरक्षा के प्रभावों को शामिल नहीं किया गया था, लेकिन वयस्कों की जांच से संक्रमण के विरुद्ध प्राकृतिक और वैक्सीन से प्रेरित सुरक्षा सबसे अच्छा बचाव प्रदान करने वाली पाई गई।
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टीम के मुताबिक, COVID-19 से ठीक होना ही बच्चों के सुरक्षित रहने की गारंटी नहीं देता, इसलिए उन्हें भी टीका लगवाने की आवश्यकता है।
भले ही बच्चों में कुछ हद तक प्राकृतिक एंटीबॉडी कम से कम छह महीने तक रहती है, फिर भी उनकी पूर्ण सुरक्षित सीमा अज्ञात है।
इस संदर्भ में बच्चों का टीकाकरण ही उन्हें अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान कर सकता है।
यह अध्ययन अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित किया गया है।
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