ख़ून में मौजूद लिपिड की जांच (Lipid test) से टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) और हृदय रोग (Cardiovascular disease) होने की भविष्यवाणी का जा सकती है, ऐसी संभावना जर्मनी और स्वीडन के वैज्ञानिकों ने जताई है।
उनके मुताबिक़, ख़ून (Blood) में बहने वाले दर्जनों क़िस्म के लिपिड को मापने की विधि, जिसे लिपिडोमिक्स (Lipidomics) कहा जाता है, इन बीमारियों के पैदा होने से पहले ही आगाह कर देगी।
लिपिडोमिक टेस्ट के नतीजों से आहार और जीवनशैली में बदलाव लाकर मानव स्वास्थ्य को समय रहते सुरक्षित किया जा सकता है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि वैसे तो डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर रोग का ख़तरा काफी हद तक दो प्रमुख ब्लड लिपिड – हाई और लो कोलेस्ट्रॉल स्तर पर निर्भर करता है।
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लेकिन रक्त में एक सौ से अधिक प्रकार के लिपिड होते है। इनकी जांच से पूरे शरीर की स्थिति और मेटाबॉलिज़्म के विभिन्न पहलुओं को परखा जा सकता है।
ब्लड लिपिड मापने से बीमारियों की भविष्यवाणी करने की कल्पना 4,000 से अधिक स्वस्थ और मध्यम आयु वाले इंसानों के हेल्थ रिकॉर्ड तथा ब्लड सैंपल की जांच से साकार हो पाई।
समय गुज़रने के साथ सभी इंसानों में लाइफस्टाइल से संबंधित इन समस्याओं का विकास देखने वाली यह स्टडी वर्ष 1994 से 2015 तक जारी रही।
मास स्पेक्ट्रोमेट्री द्वारा की गई 184 प्रकार के ब्लड लिपिड की जांच से 14 और 22 प्रतिशत इंसानों में क्रमश: डायबिटीज और कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों का विकास होने की आशंका मिली।
समय बीतने के साथ ही ऐसे इंसानों में दोनों बीमारियों का ख़तरा 80 से लेकर 100 प्रतिशत से अधिक तक बढ़ा हुआ देखा गया।
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वैज्ञानिकों ने मास-स्पेक्ट्रोमेट्रिक माप से प्राप्त लिपिडोमिक जोख़िम को सस्ता और तेज बताया है।
इसके अलावा, ख़ून में मौजूद लिपिड की जांच बीमारियों को प्रभावित करने वाले कई तरह के शारीरिक परिवर्तनों की सूचना भी दे सकता है।
इस रिसर्च के बारे में अधिक जानकारी पीएलओएस बायोलॉजी पत्रिका से मिल सकती है