Greater body fat affects thinking and memory: शरीर पर ज्यादा चर्बी यानी फैट (Fat) चढ़ने से मस्तिष्क को बहुत नुकसान होता है और कई मानसिक क्षमताएं बिगड़ने लगती है।
ये नवीन जानकारी दी है कनाडा के स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने।
कई विश्वविद्यालयों और स्वास्थ्य विज्ञान संस्थाओं के इन विशेषज्ञों की मानें तो सोचने, सीखने, याददाश्त, निर्णय लेने और ध्यान से संबंधित मानसिक क्षमताओं में हुई गिरावट कार्डियोवैस्कुलर बीमारी या मस्तिष्क की चोट (Brain injury) के जोख़िम से प्रभावित नहीं थी।
हालांकि, शरीर पर ज्यादा फैट मस्तिष्क पर कैसे बुरा असर डालता है, यह रहस्य उनकी समझ से परे बताया गया है।
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इस विषय की जानकारी के लिए 30 से 75 वर्षीय 9 हजार से अधिक पुरुषों और महिलाओं के शरीर पर जमा कुल फैट की जांच की गई थी।
पता चला की पेट और शरीर के अंदरूनी अंगों पर जमा विसरल फैट (Visceral Fat) बढ़ने से दिल की बीमारियों सहित ब्रेन इंजरी का ख़तरा गंभीर और जानलेवा हो गया था।
सबसे ज्यादा नुकसान उन लोगों को था जिनका बॉडी और विसरल फैट बढ़ा हुआ था। ऐसे पुरुषों और महिलाओं की मानसिक क्षमता में ज़बरदस्त गिरावट देखने को मिली थी।
जामा नेटवर्क ओपन में प्रकाशित नतीजे बताते है कि शरीर में बहुत अधिक फैट होने की स्थिति को रोकने या कम करने पर मानसिक कार्य क्षमता बुढ़ापे तक बची रह सकती है।
मानसिक क्षमताओं को बनाए रखने पर ही बुढ़ापे में डिमेंशिया की बीमारी से निज़ात मिल सकती है।
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इसके लिए बेहतर खान-पान और शारीरिक गतिविधि द्वारा कम वजन और फैट प्रतिशत बनाए रखना फ़ायदेमंद हो सकता है।
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