नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज (Nonalcoholic fatty liver disease – NAFLD) ग्रस्त रोगियों के लिए नियमित एक्सरसाइज़ (Exercise) की उपयोगिता बताने वाली एक स्टडी हाल ही में प्रकाशित हुई है।
पेन्सिलवेनिया स्टेट कॉलेज ऑफ मेडिसिन के एक्सपर्ट्स की इस स्टडी में एक्सरसाइज़ करने से ऐसे रोग में रक्त के थक्कों (Blood clotting) का विकास कम होना कहा गया है।
नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर डिजीज के अंतर्गत लिवर की कोशिकाओं में बहुत ज्यादा चर्बी जमा हो जाती है, जिससे हृदय रोग, स्ट्रोक, कैंसर और रक्त के थक्कों का खतरा बढ़ जाता है।
इस रोग से दुनिया भर में लगभग 1 अरब वयस्क प्रभावित बताए गए है। रोगियों के पैरों, फेफड़ों या लिवर की नसों में रक्त के थक्के बनने से अस्पताल में भर्ती या मृत्यु होने का ख़तरा बढ़ता है।
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गौरतलब है कि वर्तमान में इस समस्या के लिए कोई पक्का उपचार या दवा नहीं है। इसलिए, एक्सपर्ट्स ज्यादा एक्टिव रहने तथा खान-पान में परहेज़ की सलाह देते है।
इस स्टडी के दौरान हुए क्लीनिकल ट्रायल में एक्सरसाइज़ करने वाले नॉन एल्कोहॉलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (Non-alcoholic steatohepatitis -NASH) के मरीज़ों में रक्त के थक्कों को बनने वाले प्रोटीन की मात्रा बहुत कम पाई गई थी।
ऐसे रोगियों ने 20 सप्ताह में पांच दिनों तक 30 मिनट की मध्यम से लेकर ज़ोरदार तरीके की एरोबिक एक्सरसाइज़ और खान-पान में परहेज़ का पालन किया था।
जांच से पता चला कि दवा या देखभाल मिले मरीज़ों की अपेक्षा एक्सरसाइज़ करने वाले रोगियों में रक्त के थक्कों को बनने में सहायक PAI-1 प्रोटीन की मात्रा काफी कम थी।
इसके अलावा, एक्सरसाइज़ करने से लिवर की चर्बी घटने सहित कार्डियोरेस्पिरेटरी फिटनेस, ब्लड शुगर, इंसुलिन, फैट और जीवन की गुणवत्ता में भी सुधार होते देखा गया।
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हेपेटोलॉजी जर्नल में प्रकाशित परिणाम, एनएएफएलडी और एनएएसएच रोगियों के समग्र स्वास्थ्य सुधार में एक्सरसाइज के महत्व को दर्शाते है।
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