जीवनकाल में किसी सदमे को झेलने वाली महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर (Hypertension) की समस्या से ज्यादा ग्रसित रहती है, ये कहना है एक अमेरिकी स्टडी का।
यौन हिंसा (Sexual violence) की शिकार हुई महिलाओं में हाई बीपी विकसित होने की संभावना देखने वाली यह स्टडी हाल ही में प्रकाशित हुई है।
स्टडी के निष्कर्ष संयुक्त राज्य की महिलाओं पर सात साल तक चले एक बड़े अध्ययन के विश्लेषण पर आधारित थे।
जर्नल ऑफ़ अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित ये निष्कर्ष बताते है कि अध्ययन में शामिल तक़रीबन 20 फीसदी महिलाएं अपने जीवनकाल में यौन हिंसा के भयावह अनुभव से गुज़री थी।
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जिन महिलाओं ने घरेलू या बाहरी यौन उत्पीड़न सहित कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न संबंधी सदमे को झेला था, उनमें हाई बीपी का खतरा सबसे अधिक था।
विशेषज्ञों ने ऐसे दुर्व्यवहार से महिलाओं के हृदय स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ने की आशंका जताई है।
एक लाख से अधिक यू.एस. वयस्क महिलाओं पर हुई एक विशाल स्टडी से प्राप्त आंकड़ों में यौन हिंसा की यातना से गुजरने वाली महिलाएं ज्यादा थी।
रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 23 फीसदी महिलाओं ने अपने जीवन में किसी समय यौन उत्पीड़न का दंश झेला था और 12 फीसदी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के दुर्व्यवहार से गुज़री थी। लगभग 6 फीसदी महिलाएं दोनों तरह की यातनाओं की पीड़िता थी।
2008 से 2015 तक चली इस स्टडी में लगभग 21 फीसदी महिलाओं में हाई ब्लड प्रेशर की समस्या विकसित हुई।
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उन महिलाओं की तुलना में जिन्होंने कभी किसी प्रकार का आघात नहीं झेला था, दोनों तरह के दुर्व्यवहार की शिकार महिलाओं में हाई बीपी विकसित होने की संभावना अधिक थी।
दोनों दुर्व्यवहारों से प्रभावित महिलाओं में हाई बीपी होने का जोखिम सबसे अधिक था।
शोधकर्ताओं ने ध्यान दिया कि जीवनकाल की यौन हिंसा से जुड़ा हाई बीपी का जोखिम बच्चों या किशोरों के यौन शोषण, नींद की अवधि और पर्यावरण प्रदूषकों के संपर्क में आने जितना ही गंभीर मामला है।
ऐसी हिंसा को कम करना एक महत्वपूर्ण प्रयास होगा, जिससे महिलाओं के हृदय स्वास्थ्य में भी सुधार हो सकता है।