वैसे तो शाकाहार (Plant-based diet) से स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों को लाभ होता है, लेकिन ऐसे भोजन से शरीर में कुछ विटामिन और खनिजों की कमी भी हो जाती है।
इसी से संबंधित एक हालिया स्टडी में पूर्णतया शाकाहारी या मिली-जुली डाइट अपनाने से कुछ महत्वपूर्ण विटामिन और मिनरल की शरीर में कमी पाई गई है।
स्टडी में पाया गया कि उपरोक्त दोनों तरह की डाइट लेने वालों में फोलेट का स्तर तो अधिक मिला, लेकिन विटामिन बी12 और आयोडीन का सेवन कम था।
इसके अलावा, शाकाहार लेने वालों में आयरन की भी कमी देखने को मिली। ऐसा संभवतः पौधों से मिलने वाले आयरन के खराब अवशोषण के कारण पाया गया।
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स्टडी करने वाले फ़ूड और न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स के अनुसार, भले ही रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट सेहत के लिए नुकसानदेह है, लेकिन दूध, पनीर, दही, अंडे, चिकन, मछली आदि को भोजन में जरूर शामिल करना चाहिए।
136 स्वस्थ वयस्कों के खान-पान से जुड़े इस अध्ययन के एक्सपर्ट्स ने पशु-आधारित प्रोटीन स्रोतों को पौधे-आधारित विकल्पों के साथ बदलने पर विटामिन और खनिज की मात्रा पर असर पड़ते देखा।
शुद्ध शाकाहार लेने से विटामिन बी12 और आयोडीन का स्तर कम होना पाया गया।
इसके विपरीत, पशु प्रोटीन स्रोतों पर आधारित आहार की तुलना में पौधों के प्रोटीन युक्त आहार अधिक मात्रा में लेने से आयरन और फोलेट ज्यादा मिला।
हालांकि, आयरन का स्तर न घटने के पीछे पौधे-आधारित आहार में विटामिन सी का होना फायदेमंद पाया गया, जिससे आयरन के अवशोषण को बढ़ावा मिला।
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पशु प्रोटीन स्रोतों को जितना अधिक शाकाहारी खाद्य पदार्थों से बदला गया, उतना ही वयस्कों के शरीर में विटामिन बी12 का स्तर कम होता गया। लेकिन यह स्तर भोजन में मीट, मछली, अंडे आदि लेने वाले समूह में सबसे अधिक पाया गया।
बता दें कि शरीर में रेड ब्लड सेल्स के निर्माण के लिए विटामिन बी-12 बहुत जरूरी है।
इसकी कमी से दिमाग और नर्वस सिस्टम प्रभावित होते है। यहां तक कि फोलेट को जरूरी अंगों तक पहुंचाने में भी विटामिन बी-12 मदद करता है।
आश्चर्यजनक रूप से आयोडीन की मात्रा दोनों तरह की डाइट लेने वालों में समान रूप से कम पाई गई।
यूरोपियन जर्नल ऑफ़ न्यूट्रिशन में प्रकाशित इस स्टडी में एक्सपर्ट्स ने किसी भी तरह की डाइट को चुनते समय पर्याप्त माइक्रो नुट्रिएंट के सेवन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता कही है।