मेडिकल जगत से जुड़े अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने एक नए अध्ययन में कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवा स्टैटिन (Statin) की सुरक्षा और जोखिम का पता लगाया है।
ऐसा देखा जा रहा था कि दो में से एक मरीज कुछ समय बाद नियमित रूप से स्टैटिन लेना या तो बंद कर देता है या डोज की खुराक कम करके कभी कभार ही लेता है।
मरीजों ने बताया था कि कोलेस्ट्रॉल कम करने वाली दवाएं मांसपेशियों में दर्द और अन्य स्वास्थ्य दुष्प्रभाव पैदा करती है।
दिल की बीमारियों से बचाव करके मृत्यु दर कम करने में स्टैटिन सबसे अधिक निर्धारित दवाओं में से है।
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हालांकि, 40 लाख से अधिक रोगियों की जानकारी से पता चला है कि दुनिया भर में स्टेटिन से एलर्जी केवल छह से दस प्रतिशत के बीच में है।
यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित नई स्टडी के निष्कर्ष बताते है कि स्टेटिन दुष्प्रभावों को अनुमान से अधिक बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है।
स्टडी में पोलैंड, कोसोवा, यूके, स्लोवाकिया, इरान, यूएसए, क्रोएशिया आदि देशों की मेडिकल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने स्टेटिन से होने वाली समस्याएं पहचानने के लिए दुनिया भर के 4,143,517 मरीजों पर हुए 176 अध्ययनों का बारीक़ी से विश्लेषण किया था।
परिणाम बताते है कि स्टैटिन थेरेपी से लगभग 93 प्रतिशत रोगियों का इलाज बिना किसी समस्या के प्रभावी ढंग से किया जा सकता है।
विशेषज्ञों के अनुसार, इस दवा से वृद्धों, महिलाओं, मोटापे, डायबिटीज, खराब थायरॉइड, लिवर या किडनी फेलियर वालों को ही दिक्कतें होने की अधिक संभावना है।
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स्टेटिन की हाई डोज सहित शराब के उपयोग, दिल की अनियमित धड़कन, सीने में दर्द और हाई बीपी को नियंत्रित करने वाली दवाओं से भी स्टेटिन के दुष्प्रभाव होने का अधिक जोखिम जुड़ा हुआ मिला है।
इनसे संबंधित मरीजों में स्टेटिन के हानिकारक प्रभावों का जोखिम 22 प्रतिशत (उच्च शराब की खपत) से 48 प्रतिशत (महिलाओं में) तक पाया गया।
विशेषज्ञ टीम के अनुसार, इससे स्पष्ट होता है कि रोगियों को स्टैटिन से डरने की ज़रूरत नहीं है, क्योंकि इस दवा को 93 फीसदी तक बहुत अच्छी तरह से सहन किया जा सकता है।
ऐसे में रोगियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण संदेश यही था कि वो निर्धारित खुराक के अनुसार ही स्टैटिन लें और समस्या होने पर बंद करने की बजाए डॉक्टर से सलाह- मश्वरा ज़रूर करें।